fbpx
Jayshankar Prasad Ki Chooriwali October aur June O Henry

कहानी – अक्टूबर और जून October aur June
लेखक – ओ हेनरी

अब तक आपने पढ़ा- युद्ध की सेवाओं से आज़ाद कप्तान अपने पुराने समय को याद कर रहा है. वो याद कर रहा है एक औरत को जिससे वो प्यार करने लगा था, इसी बीच उसे एक पत्र मिलता है..ये पत्र उसे उदास कर देता है क्यूंकि इस पत्र में उसकी प्रेमिका थियोडोरा डैमिंग उससे कहती है कि वो उससे शादी नहीं कर सकती. वो कहती है कि दोनों के बीच उम्र का बड़ा अंतर है. पत्र पढ़ कर वो निराश हो जाता है और अपनी थियो से बात करने के लिए उसके पास जाता है. कप्तान अपनी प्रेमिका से आग्रह करता है कि वो अपने फ़ैसले पर पुनः विचार करे जिस पर थियो कहती है,”मैं तुम्हें पसंद करती हूँ पर तुमसे विवाह करना नहीं चल पाएगा.”, अब आगे..

कप्तान के ताम्बयी चेहरे पर हलकी लालिमा छा गयी । वह एक क्षण को मौन था और संध्या प्रकाश में उदासी के साथ घूर रहा था । जंगल के पार वह देख रहा था कि एक मैदान में नीले वस्त्र पहने लड़के, समुद्र की ओर क़दम-ताल करते हुए बढ़ रहे थे। ओह ! यह कितना समय पूर्व प्रतीत होता था । वास्तव में भाग्य और पितामह समय ने उसे पीड़ा पहुचाई थी । उसके और प्रसन्नता के मध्य कुछ ही वर्ष अड़े हुए थे ।

थियोडोरा का हाथ रेंग कर कप्तान के भूरे , दृढ हाथ की पकड़ में थाम गया । वह कम से कम , इस अनुभव , जो प्रेम की भवना के समान है , वह महसूस कर रही थी।
“कृपया , इतना बुरा मत मानो , ” वह शिष्टता से बोली । “यह सब भलाई के लिए है । मीने स्वयं इसका कारण बुद्धिमानी से निकाला है । किसी दिन तुम प्रसन्न होगे कि मैंने तुमसे विवाह नहीं किया। यह थोडे समय के लिए बहुत अछा और प्रेमपूर्वक लगेगा – पर जरा सोचो ! थोडे ही वर्षों में इसका स्वाद कितना भिन्न होगा। हममे से एक शाम के समय आग के पास बैठ कर पढ़ना चाहेगा और हो सकता है कि गठिया इत्यादी के उपचार कर रहो होगा जब कि दूसरा नृत्य थिएटर और देर रात्रि के भोज के प्रति पागल हो रहा होगा । नहीं , मेरे प्रिय मित्र ! यह जनवरी और मई नहीं बल्कि अक्टूबर और जून का वास्तविक मामला है !”
“मैं सदैव वही करूंगा थियो जैसा तुम चाहोगी तुम – ”
“नहीं, तुम नहीं करोगे। तुम अभी सोचते हो कि तुम करोगे , पर तुम नही करोगे । कृपया , मुझसे अधिक न पूछो।”

कप्तान अपना युद्ध हार गया था। पर वह एक वीर योद्धा था और जब वह अपनी अन्तिम विदा कहने के लिए उठा , उसका मुँह व्यवस्तित था और कंधे चौड़े।
उस रात्रि उसने उत्तर दिशा कि ट्रेन पकड़ी । अगली शाम वह अपने कमरे में वापिस था , जहाँ दीवार पर उसकी तलवर लटक रही थी। वह भोजन के लिए तैयार हो रहा था और अपनी सफ़ेद टाई सावधानी से बाँध रह था और उसी समय वह स्वय से बातें भी करता जा रहा था ।
“मेरे विचार में, अंततः , थियो ठीक ही कहती थी। कोई मना नहीं कर सकता था कि उसकी आकृति बहुत सुन्दर है किन्तु उदारता से गणना की जाये तो वह भी अट्ठाईस वर्षीया होनी चाहिये ।”
क्योंकि आप देखे, कप्तान मात्र उन्नीस वर्ष का था और उसकी तलवार चैटानूगा के परेड स्थल के अतिरिक्त कभी नहीं खीची गयी थी । और यह लगभग ऐसा ही था जैसे वह स्पेन-अमेरिका युद्ध में कभी गया न हो ।

__
(समाप्त) October aur June

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *