साहित्य दुनिया की इस विशेष सीरीज़ में हम आज जिन 10 शा’इरों के शे’र आपके सामने पेश कर रहे हैं वो हैं इफ़्तिख़ार आरिफ़,अहमद मुश्ताक़, मीर तक़ी मीर, जोश मलीहाबादी,हसरत मोहानी, जाफ़र अली “हसरत”,बेहज़ाद लखनवी, अकबर इलाहाबादी, अब्दुल हमीद “अदम” और बशीर बद्र.
1.
एक हम ही तो नहीं हैं जो उठाते हैं सवाल
जितने हैं ख़ाक-बसर शहर के सब पूछते हैं
इफ़्तिख़ार आरिफ़
2.
कोई तुम सा भी काश तुम को मिले
मुद्दआ हम को इंतिक़ाम से है
मीर तक़ी मीर
3.
गुम रहा हूँ तिरे ख़यालों में
तुझ को आवाज़ उम्र भर दी है
अहमद मुश्ताक़
4.
एक दिन कह लीजिए जो कुछ है दिल में आप के,
एक दिन सुन लीजिए जो कुछ हमारे दिल में है
जोश मलीहाबादी
5.
अल्लाह-री जिस्म-ए-यार की ख़ूबी कि ख़ुद-ब-ख़ुद
रंगीनियों में डूब गया पैरहन तमाम
हसरत मोहानी
(पैरहन- लिबास)
6.
तुम्हें ग़ैरों से कब फ़ुर्सत हम अपने ग़म से कब ख़ाली,
चलो बस हो चुका मिलना, ना तुम ख़ाली ना हम ख़ाली
जाफ़र अली “हसरत”
7.
मैं ढूँढ रहा हूँ मेरी वो शम्म’अ कहाँ है,
जो बज़्म की हर चीज़ को परवाना बना दे
बेहज़ाद लखनवी
8.
पैदा हुआ वकील तो शैतान ने कहा
लो आज हम भी साहिब-ए-औलाद हो गए
अकबर इलाहाबादी
(ये मज़ाहिया शे’र है या’नी व्यंग)
9.
कौन अंगड़ाई ले रहा है ‘अदम’
दो जहाँ लड़खड़ाए जाते हैं
अब्दुल हमीद “अदम”
10.
घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला
बशीर बद्र
फ़ोटो क्रेडिट (फ़ीचर्ड इमेज): प्रियंका शर्मा