नटखट कविताएँ / नटखट दुनियाचूहे राम की अकड़ by साहित्य दुनिया - Leave a Comment अकड़-अकड़ कर क्यों चलते हो चूहे चिंटूराम, गर बिल्ली ने देख लिया तो करेगी काम तमाम, चूहा मुक्का तानकर बोला नहीं डरूँगा दादी मेरी भी अब हो गई है इक बिल्ली से शादी –दीनदयाल शर्मा