किताबों मे बिल्ली ने बच्चे दिए हैं,
ये बच्चे बड़े हो के अफ़सर बनेंगे
दरोगा बनेंगे किसी गाँव के ये,
किसी शहर के ये कलेक्टर बनेंगे
न चूहों की इनको ज़रूरत रहेगी,
बड़े होटलों के मैनेजर बनेंगे
ये नेता बनेंगे औ’ भाषण करेंगे,
किसी दिन विधायक, मिनिस्टर बनेंगे
वकालत करेंगे सताए हुओं की,
बनेंगे ये जज औ’ बैरिस्टर बनेंगे
दलिद्दर कटेंगे हमारे-तुम्हारे,
किसी कम्पनी के डिरेक्टर बनेंगे
खिलाऊँगा इनको मैं दूध और मलाई
मेरे भाग्य के ये रजिस्टर बनेंगे।
– सर्वेश्वरदयाल सक्सेना