माँ हॉल में दरवाज़े के पास एक अटैची, एक बैग और एक छोटा बैग लिए खड़ी थीं। दादी बहु के पास ही खड़ी थीं और उन्हें सफ़र के लिए हिदायत दे रहीं थीं…और माँ उन्हें सेहत का ख़याल रखने की बात कह रही थी, तभी पापा कमरे से तैयार होकर आए और बोले,
“सब तैयार है…? मैं गाड़ी निकाल के लाता हूँ..फिर सामान रख के निकलते हैं”- दादी की ओर देखकर पापा बोले, “माँ मैं इन दोनों को गाड़ी में बिठा के ऑफ़िस चला जाऊँगा। शाम को जल्दी लौट आऊँगा..फिर हम दोनों मिलकर गुरुदत्त वाली महफ़िल जमाएँगे और साथ में खाएँगे..”
“खिचड़ी और अचार…”- दादी और पापा ने एक साथ सुर में कहा और तीनों हँस पड़े। पापा गाड़ी निकालने बाहर निकल गए
“ननकू कहाँ हैं?…जाने का टाइम हो गया है” दादी ने घड़ी की ओर देखकर कहा।
“ननकू….ऐ ननकू…क्या कर रहा है अंदर?…चल जल्दी..” माँ ने ज़ोर से आवाज़ दी
ननकू का कोई जवाब न सुनकर दादी और माँ दोनों रूम में उसे देखने चले..वहाँ जाकर देखा तो ननकू पलंग के ऊपर बैठा अपने नोटपैड में कुछ लिख रहा था। आसपास दो-तीन छोटी-छोटी नोटपैड और पास ही उसका छोटा-सा बैग रखा था । दादी और माँ एक-दूसरे को देखकर मुस्कुरा उठे। दादी ननकू को प्यार से देखने लगीं और वहीं पलंग में बैठ गयीं.
“अभी क्या लिख रहा है..पापा गाड़ी भी ले आए चल…रास्ते में लिख लेना..दादी का पाँव छूकर आशीर्वाद ले पहले और तेरा नोटपैड अपने बैग में रख और चल”- माँ ने जैसे एक साँस में सबकुछ कह दिया।
ननकू ने नोटपैड में से पन्ना अलग किया और उसको मोड़कर हाथ में रखा, तब तक माँ उसका बैग पैक करने पहुँच चुकी थीं। उन्होंने ननकू को दादी से आशीर्वाद लेने का इशारा किया, ननकू मुड़ा और दादी के गले लग गया। माँ और दादी दोनों मुस्कुरा उठीं। दादी ने उसे गोद में बिठाकर गालों को सहलाया और उसके गालों को प्यार से चूमा। उनकी आँखें नम होने लगीं थीं। इसी बीच ननकू ने वो नोटपैड से निकाला काग़ज़ दादी को देते हुए कहा..
“मैं नानी के घर जा रहा हूँ न तो आपको मेरी याद आएगी…तभी तो आपके लिए चिट्ठी लिख रहा था”
दादी को ननकू पर ख़ूब प्यार आया। उन्होंने ननकू को गले से लगा लिया। माँ दोनों का प्यार देखकर मुस्कुरा रही थीं। तभी बाहर से पापा ने गाड़ी का हॉर्न बजाया। दादी ने माँ को आँखों से इशारा किया कि अब उन्हें जाना चाहिए और तीनों बाहर आ गए। ननकू चाहता था कि दादी भी रोज़ की तरह गाड़ी में उनके साथ चलें लेकिन सभी ने उसको समझाया कि पापा को वहाँ से ऑफ़िस जाना है, तो ननकू ने अपने छोटे से बैग से चॉकलेट निकालकर दादी को दिया। चीकू भी ज़ोर-ज़ोर से आवाज़ करता हुआ ननकू को बाय करने लगा। गाड़ी बाहर निकली और स्टेशन की तरफ़ चल पड़ी। पापा गाड़ी चला रहे थे और माँ साथ वाली सीट पर बैठी थी, ननकू पीछे…दोनों आपस में बातें कर रहे थे…ननकू खिड़की से बाहर देखता हुआ जा रहा था और अपने ख़यालों में गुम था। तभी ननकू को कुछ याद आया,
“पापा…गाड़ी जल्दी वापस लेकर चलो”- ननकू हड़बड़ी में बोला
“क्या हुआ…ननकू?”- माँ-पापा दोनों एक साथ हैरान होकर बोले…पापा ने तो गाड़ी साइड में रोक दी।
“मेरी कविता वाली डायरी घर में ही रह गयी..मैं उसमें नानी के लिए भी कविता लिखा था..” ननकू उदास होकर बोला
“ये वाली डायरी…?” माँ ने अपने बैग में से डायरी ननकू की तरफ़ बढ़ाते हुए कहा
“माँ आप कितनी प्यारी हो..ये आपके पास थी”- ननकू ख़ुशी से झूम उठा।
पापा और माँ दोनों मुस्कुराने लगे पापा ने गाड़ी बढ़ा दी। ननकू अपनी डायरी को प्यार से देखता रहा और फिर अपने छोटे से बैग में डायरी को नोटपैड, दूसरी डायरी और खिलौनों के बीच अच्छे से रख दिया। इस बीच स्टेशन आ चुका था। पापा ने गाड़ी पार्क की और सामान लेकर स्टेशन के अंदर पहुँचे..पापा के पास अटैची और एक बैग था, माँ ने एक हाथ से बैग और एक हाथ से ननकू को थामा हुआ था और ननकू अपना छोटा सा बैग पीठ पर लटकाकर साथ में चला जा रहा था। प्लेटफ़ॉर्म में सामान रखकर पापा गाड़ी के बारे में पता करने गए और ननकू को माँ ने अटैची पर बिठा दिया..ननकू को बड़ा मज़ा आने लगा। कुछ ही देर में पापा वापस आए उनके हाथ में एक कॉमिक्स थी..पापा ने ननकू को कॉमिक्स दी
“माँ और नानी को परेशान नहीं करना..रास्ते में माँ जो भी बोलेंगी वो मानना..और पापा को याद करेगा न?”
“पापा को भी और दादी को भी…” – ननकू बोला
इसी बीच सीटी देती हुई ट्रेन प्लेटफ़ॉर्म पर आ खड़ी हुई..सब चढ़ने के लिए धक्का-मुक्की करने लगे। इसी बीच पापा ने माँ और ननकू को चढ़ाया। वहीं पास एक बुज़ुर्ग महिला धक्कामुक्की से दूर खड़ी चढ़ने की कोशिश कर रही थीं..पापा ने उनको भी चढ़ाया और उनका सामान चढ़ा दिया। बाद में पापा ट्रेन में चढ़कर ननकू और माँ को उनकी सीट तक पहुँचा आए। सारा सामान रखकर पलटे कि वही बुज़ुर्ग महिला भी पास की सीट पर आ बैठी। पापा और माँ उन्हें देखकर मुस्कुरा उठे। ननकू पापा की गोद में चढ़कर उन्हें प्यार से चूमा और ट्रेन की सीटी बज गयी। पापा झटपट नीचे उतरे..ननकू उन्हें खिड़की से देखकर ज़ोर-ज़ोर से पुकारने लगा..
“पापा बाय…बाय पापा”
लेकिन पापा तो उसकी ओर देख ही नहीं रहे थे। फिर माँ ने उसे समझाया कि इस खिड़की से वो तो बाहर देख सकता है लेकिन पापा उसे नहीं देख सकते। आख़िर ट्रेन ने स्टेशन छोड़ दिया और ननकू चल पड़ा नानी के घर।
(ननकू रेलगाड़ी में पहली बार बैठा है..और अभी तो ट्रेन बस निकली है..आपको पता है ट्रेन के सफ़र में बहुत मज़ा आता है..अब ननकू क्या-क्या करेगा ये भी आपको बताएँगे)