आप और हम मिलकर हिंदी व्याकरण में अक्सर होने वाली छोटी-छोटी ग़लतियों के बारे में बातें करते हैं..और इस दौरान हमने मात्राओं के बारे में जाना है। वर्णमाला और मात्राओं की जानकारी से हिंदी की नींव मज़बूत हो जाती है, उसके बाद आगे की बातें जानना और समझना भी आसान हो जाता है। देखा जाए तो अगर हम किसी भाषा को जानना चाहतेहैं या उसमें पारंगत होना चाहते हैं, तो हमें उस भाषा को ज़्यादा से ज़्यादा पढ़ना चाहिए। अरे..आज तो हम बातों में ही लग गए हैं, बातें तो होती रहेंगी पर कुछ सीखना भी तो है, बस एक बात और..जानते हैं अगर आप किसी को कुछ सिखाते हैं, तो साथ ही साथ बहुत कुछ सीखने भी मिलता है
वैसे आज हम जिस बारे में बात करने वाले हैं, वो शब्द इतने ज़्यादा इस्तेमाल में आते हैं कि हिंदी के अधिकांश वाक्यों में नज़र आते हैं। अब देखिए, इसी वाक्य में तीन बार आ गए। आज हम बात करेंगे: है और हैं के प्रयोग के बारे
उच्चारण
“है”और “हैं” में फ़र्क़ है सिर्फ़ एक बिन्दू का, लेकिन इस एक छोटी-सी बिन्दू का भी बहुत महत्व है। इस एक बिन्दू के होने की वजह से उच्चारण में भी अंतर आता है।
“है” के उच्चारण के लिए सुन सकते हैं 1977 में आयी फ़िल्म “हम किसी से कम नहीं” का गीत “है अगर दुश्मन ज़माना ग़म नहीं” इस गीत की शुरुआत में ही आपको “है” का उच्चारण पता चल जाएगा।”हैं” के उच्चारण के लिए सुनिए 1973 की फ़िल्म “नमक हराम” का गीत “दिये जलते हैं फूल खिलते हैं” मुखड़े में ही आपको तीन बार “हैं” का उच्चारण सुनने मिलेगा।
अब आप इसे सुन लें तो साथ ही साथ दो-तीन बार दोहरा लें..गाने का गाना हो जाएगा और “है” और “हैं” का अभ्यास भी।
प्रयोग
उच्चारण का अंतर जानने के बाद आपको “है” और “हैं” में फ़र्क़ तो समझ आ ही गया होगा। तो हम अब ये जानते हैं कि किस वाक्य में “है” लगेगा और किसमें “हैं”
अगर आप ग़ौर से देखें तो आपको ये पता चलेगा कि अब तक जितने भी वाक्यों में “है” का प्रयोग हुआ है वो सभी ऐसे वाक्य हैं जिनमें संज्ञा शब्द एकवचन वाले थे, मतलब उन वाक्यों में किसी एक व्यक्ति, एक वस्तु, एक स्थान आदि की बात हो रही है। इसी तरह “हैं” का प्रयोग उन वाक्यों में हुआ है जिनमें एक से अधिक व्यक्ति, वस्तु या स्थान की बात है याने कि संज्ञा शब्द बहुवचन वाले थे।
वचन के बारे में विस्तार से आपको कभी और ज़रूर बताएँगे, फ़िलहाल ये बता दें कि वचन किसी संज्ञा शब्द का वो रूप होता है जिससे उसकी संख्या (एक या ज़्यादा) का पता चलता है। वचन दो तरह के होते हैं: एकवचन और बहुवचन
अगर संख्या एक है तो एकवचन और अगर ज़्यादा है तो बहुवचन। अब इस बात को ऊपरी तौर पर समझने के लिए हम कुछ एकवचन और बहुवचन वाले शब्दों के उदाहरण देख लेते हैं:
उदाहरण
एकवचन– कली, मछली, दवाई, बकरी, लड़की, बच्चा, कविता आदि।
बहुवचन– कलियों, मछलियों, दवाइयाँ, बकरियाँ, लड़कियाँ, बच्चे, कविताएँ आदि।
जो भी शब्द “एकवचन” वाले हैं उनके लिए बने वाक्य में “है” का प्रयोग होगा। इसे यूँ भी समझा जा सकता है कि जिसमें एक ही व्यक्ति, वस्तु या स्थान की बात हो वहाँ “है” लगाया जाता है।
इसी तरह जो शब्द “बहुवचन” वाले हैं उनके लिए वाक्य बनाते समय “हैं” का प्रयोग होगा। कहने का अर्थ है कि जब एक से ज़्यादा व्यक्ति, वस्तु या स्थान की बात हो वहाँ “हैं” लगाया जाएगा।
अब इस बात को उदाहरण से समझते “हैं” (इस वाक्य में “हैं” इसलिए लगा क्योंकि यहाँ “हम” समझने वाले हैं, अगर “मैं या तुम” होता तो “है” लगता)
उदाहरण
1- ये कली ख़ूबसूरत है
ये कलियाँ ख़ूबसूरत हैं
2- मछली जल में तैरती है।
मछलियाँ जल में तैरतीं हैं
3- दवाई बहुत कड़वी है
दवाइयाँ बहुत कड़वी हैं
4- आँगन में बकरी घुस आयी है
आँगन में बकरियाँ घुस आयीं हैं
5- लड़की घर के आँगन में खेल रही है
लड़कियाँ मैदान में खेल रही हैं।
6-बच्चा शोर मचा रहा है।
बच्चे शोर मचा रहे हैं
7- उसकी कविता छपी है।
उसकी कविताएँ छपी हैं
याद रखने योग्य बातें:
1- है उन वाक्यों के अंत में लगता है जिसमें संज्ञा एकवचन में हो।
2- हैं उन वाक्यों के अंत में लगता है जिसमें संज्ञा बहुवचन में हो।
3- “है” का प्रयोग केवल एकवचन के लिए ही होता है लेकिन “हैं” का प्रयोग कुछ एकवचन संज्ञा शब्दों के साथ भी होता है।
4- “हैं” का प्रयोग एकवचन के उस संज्ञा के साथ भी होता है जहाँ किसी के प्रति आदर प्रकट किया जा रहा हो: जैसे: आप, दादाजी, दादीजी, शिक्षक- शिक्षिका, माता-पिता या कोई और बड़े व्यक्ति जिनका सम्मान किया जाए।
उदाहरण: दादाजी बैठे हैं और दादीजी अख़बार पढ़ रही हैं।
पिताजी घर के काम में माँ का हाथ बँटाते हैं और माँ उनके ऑफ़िस का काम कर देती हैं।
आप कहाँ जा रहे हैं?
आज का ये अध्याय तो यहीं समाप्त करते हैं, अगली बार मिलेंगे व्याकरण के किसी नयी बात के साथ।
है तथा हैं का अंतर और इसका उपयोग आपने उदाहरण देते हुए बड़ी ही अच्छी तरह से बताया है, साधुवाद।
– अशोक हमराही