प्रेरणादायक शायरी 1.
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है
अल्लामा मुहम्मद “इक़बाल”
2.
नया चश्मा है पत्थर के शिगाफ़ों से उबलने को,
ज़माना किस क़दर बेताब है करवट बदलने को
सरदार जाफ़री
3.
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
निदा फ़ाज़ली
4.
अपना ज़माना आप बनाते हैं अहल-ए-दिल
हम वो नहीं कि जिन को ज़माना बना गया
जिगर मुरादाबादी
5.
यूँ ही रोज़ मिलने की आरज़ू बड़ी रख रखाव कि गुफ़्तगू
ये शराफ़तें नहीं बेग़रज़ उसे आपसे कोई काम है
बशीर बद्र
6.
अब हवाएँ ही करेंगी रौशनी का फ़ैसला
जिस दिए में जान होगी वो दिया रह जाएगा
महशर बदायूँनी
7.
मुसीबत का पहाड़ आख़िर किसी दिन कट ही जाएगा
मुझे सर मारकर तेशे से मर जाना नहीं आता
यास यगाना चंगेज़ी
8.
अगर पलक पे है मोती तो ये नहीं काफ़ी
हुनर भी चाहिए अल्फ़ाज़ में पिरोने का
जावेद अख़तर
9.
ना हमसफ़र ना किसी हमनशीं से निकलेगा
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा
राहत इन्दौरी
10.
ना थी हाल की जब हमें अपने ख़बर रहे देखते औरों के ऐब ओ हुनर,
पड़ी अपनी बुराइयों पर जो नज़र तो निगाह में कोई बुरा ना रहा
बहादुर शाह “ज़फ़र”
11.
तिरे माथे पे ये आँचल तो बहुत ही ख़ूब है लेकिन
तू इस आँचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था
असरार उल हक़ “मजाज़”
12.
दोस्तों का क्या है वो तो यूँ भी मिल जाते हैं मुफ़्त
रोज़ इक सच बोल कर दुश्मन कमाने चाहिए
राजेश रेड्डी
13.
क़दम उठे हैं तो धूल आसमान तक जाए
चले चलो कि जहाँ तक भी ये सड़क जाए
शकील आज़मी
14.
ज़िंदगी जीने का पहले हौसला पैदा करो
सिर्फ़ ऊँचे ख़ूबसूरत ख़्वाब मत देखा करो
मंज़र भोपाली
15.
ऐ मौज-ए-बला उन को भी ज़रा दो चार थपेड़े हल्के से
कुछ लोग अभी तक साहिल से तूफ़ाँ का नज़ारा करते हैं
मुईन अहसन जज़्बी
प्रेरणादायक शायरी