Hindi Kahani Hairat Maryana Part 2 Urdu Mein Shabdon ka prayogUrdu Mein Shabdon ka prayogsahityaduniya.com

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आज की कहानी साहित्य दुनिया के लिए अरग़वान रब्बही ने लिखी है.
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भाग 1

भाग 2

खाने का होटल

मर्याना ने हल्की पीली फ़्रॉक और नीली जीन्स पहनी थी और हैरत ने हल्की नीली शर्ट और नीली जीन्स पहनी थी. अपनी लचकती आस्तीनों को संभालते हुए मर्याना ने कहा,”कुछ स्नैक्स मंगाएँ?”
“हाँ… पापड़ जैसा कुछ मंगाते हैं..”

मर्याना ने हैरत की ओर देखा तो वो परेशान लगा..
उसने फ़ौरन मेनू को साइड में रखा और कहा, “क्या हुआ हैरत?”
“क्या हुआ??… कुछ तो नहीं”
“तुम बता दो न…मैं पक्का परेशान नहीं हूँगी.. और तुम परेशान मत हो न”, मर्याना की आवाज़ में बहुत घबराहट सी लग रही थी..
हैरत ने उसके हाथों पर हाथ रखते हुए कहा..
“जानाँ, ऐसी कोई बात नहीं है…मुझे एक काम मिला है…”
“अच्छा..” ये सुनकर उसकी घबराहट में किसी तरह की कमी न हुई थी..
“तो मुझे हर इतवार वहाँ जाना होगा, लास्ट संडे तो गया भी था मैं…” हैरत ने जैसे ही ये बताया मर्याना सामने की बेंच छोड़ उसके बग़ल में बैठ गई और उसकी कलाई को पकड़ कर कहने लगी
“हैरत…मुश्किल काम है क्या?” उसने ज़रा सा परेशान लहजे में कहा..
“नहीं मर्याना, कुछ मुश्किल नहीं… पहले तुम रिलैक्स हो जाओ” ये कहते हुए हैरत ने अपना दायाँ हाथ उसके कंधे पर रख दिया.. अब उसे अच्छा लगने लगा…
इतने में वेटर आ गया तो उसे पापड़ और कोल्ड ड्रिंक का आर्डर दे दिया…
“तो वो काम ऐसा है न कि वहाँ कुश्ती होगी..”
“अच्छा तो तुम अब..”
“मर्याना… तुम पैनिक कर रही हो..”
“करूँगी नहीं, तुम कुश्ती करने जा रहे हो, कितनी चोट लग जाएगी….”
“मर्याना..”
उसने हैरत की पूरी बात सुनी ही नहीं और मर्याना बेतहाशा परेशान हो गई..और बिना वजह पैनिक होता देख हैरत ने डाँटने के अंदाज़ में कहा
“उफ़्फ़ हद है यार…”
मर्याना बुरी तरह रोने लगी… हैरत ने मर्याना को रोता देखा तो उसे गले लगा लिया..
“मर्याना… मर्याना… सॉरी.. सॉरी बाबा”
वो सिमट कर हैरत की बाहों में हो गई.. “सब देख रहे हैं मर्याना…”
उसने अपने को व्यवस्थित करते हुए आँसू पोंछे..
“तुम पहले मेरी बात सुनो”, हैरत ने मर्याना की आँखों में आँखें डालते हुए कहा…
सिसकते हुए मर्याना ने आँसू भरी आँखों को उसकी आँखों से मिलाया…
“मुझे कुश्ती नहीं लड़ना है..मुझे सिर्फ़ देखने जाना है और अगर कोई घायल हो गया तो उसकी मरहम-पट्टी कर देनी है…” हैरत ने मर्याना को यक़ीन दिलाते हुए कहा..
मर्याना ने उम्मीद भरी नज़रों से हैरत को देखा..
“मुझे बस कुश्ती के पूरे समय रहना है… तुम चाहो तो तुम भी चलना”
मर्याना ने ये सुनकर बस “अच्छा” कहा. वेटर आ गया और दोनों ने उसे खाने की चीज़ें ऑर्डर कर दीं.

शाम को मर्याना के घर

हैरत के सामने पलथी मार कर बैठी मर्याना अभी भी होटल(रेस्टोरेंट) की बात सोच रही थी. वो बहुत देर से कुछ कहना चाह रही थी लेकिन वो कह नहीं पा रही थी. आख़िर उसने हिम्मत की और कहा,”हैरत, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ… लेकिन मैं कुश्ती देखने नहीं आ सकती.. मुझे ये चोट-वोट देखना अच्छा नहीं लगता, पर तुम मत लड़ना कभी…”
बच्चे सी मासूम मर्याना की बात पर हैरत ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया,”मुझे पता है कि तुम मुझसे प्यार करती हो… और मैं नहीं लड़ने जा रहा, मैं डॉक्टर हूँ यार”
“हाँ.. मेरा अच्छा हैरत..” ये कहते हुए उसने हैरत को कस के गले से लगा लिया.

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“जारी..”

(इस कहानी का अगला भाग कल प्रकाशित होगा) Hindi Kahani Hairat Maryana Part 2

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