पक्षी और बादल,
ये भगवान के डाकिए हैं,

जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं।

हम तो समझ नहीं पाते हैं
मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ

पेड़, पौधे, पानी और पहाड़
बाँचते हैं।

हम तो केवल यह आँकते हैं
कि एक देश की धरती

दूसरे देश को सुगंध भेजती है।
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए

पक्षियों की पाँखों पर तिरता है।
और एक देश का भाप

दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है।

रामधारी सिंह “दिनकर”

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