Barsaat Shayari Baarish Shayari
1.
घटा देख कर ख़ुश हुईं लड़कियाँ
छतों पर खिले फूल बरसात के
मुनीर नियाज़ी (Munir Niazi)
2.
आसमाँ ऐसा भी क्या ख़तरा था दिल की आग से
इतनी बारिश एक शोले को बुझाने के लिए
ज़फ़र गोरखपुरी (Zafar Gorakhpuri)
3.
तमाम रात नहाया था शहर बारिश में
वो रंग उतर ही गए जो उतरने वाले थे
जमाल एहसनी (Jamal Ehsani)
4.
मैं चुप कराता हूँ हर शब उमड़ती बारिश को
मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है
गुलज़ार (Gulzar)
5.
गर कभी रोना ही पड़ जाए तो इतना रोना
आ के बरसात तिरे सामने तौबा कर ले
मुनव्वर राणा (Munawwar Rana)
6.
बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है
निदा फ़ाज़ली (Nida Fazli)
Famous Barish Shayari
7.
किस ने भीगे हुए बालों से ये झटका पानी,
झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी
आरज़ू लखनऊ (Arzoo Lucknowi)
8.
उग रहा है दर-ओ-दीवार से सब्ज़ा ‘ग़ालिब’,
हम बयाबाँ में हैं और घर में बहार आई है
मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib)
9.
अब के सावन में शरारत ये मिरे साथ हुई,
मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई
गोपाल दास नीरज
10.
ऐ दीदा-ए-तर तुम भी झड़ी अपनी लगा दो
इस साल तो बरसात में बरसात की ठहरे
ग़ुलाम हमदनी ‘मुस’हफ़ी’ (Ghulam Humdani Mus’hafi)
11.
मैं कि काग़ज़ की एक कश्ती हूँ,
पहली बारिश ही आख़िरी है मुझे
तहज़ीब हाफ़ी (Tehzeeb Hafi)
12.
याद आई वो पहली बारिश
जब तुझे एक नज़र देखा था
नासिर काज़मी (Nasir Kazmi)
13.
उसने बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहीं
भीगने वालों को कल क्या क्या परेशानी हुई
जमाल एहसानी (Jamal Ehsani)
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14.
तमाम रात नहाया था शहर बारिश में
वो रंग उतर ही गए जो उतरने वाले थे
जमाल एहसानी (Jamaal Ehsani)
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15.
धूप ने गुज़ारिश की
एक बूँद बारिश की
मुहम्मद अल्वी (Muhammad Alvi)
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16.
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन
वो काग़ज़ की कश्ती वो बारिश का पानी (गीत)
सुदर्शन फ़ाकिर (Sudarshan Fakir)
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17.
अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है
जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाई की
परवीन शाकिर (Parveen Shakir)
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18.
आने वाली बरखा देखें क्या दिखलाए आँखों को
ये बरखा बरसाते दिन तो बिन प्रीतम बे-कार गए
हबीब जालिब (Habib Jalib)
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19.
कच्चे मकान जितने थे बारिश में बह गए
वर्ना जो मेरा दुख था वो दुख उम्र भर का था
अख़्तर होशियारपुरी (Akhtar Hoshiyarpuri)
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20.
किसने भीगे हुए बालों से ये झटका पानी
झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी
आरज़ू लखनवी (Aarzu Lucknowi)
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21.
हैरत से तकता है सहरा बारिश के नज़राने को
कितनी दूर से आई है ये रेत से हाथ मिलाने को
सऊद उस्मानी (Saud Usmani)
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22.
मैं वो सहरा जिसे पानी की हवस ले डूबी
तू वो बादल जो कभी टूट के बरसा ही नहीं
सुल्तान अख़्तर (Sultan Akhtar)
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23.
देखी थीं कभी मैं ने भी बरखा की बहारें
अब टूटे हुए दिल को ख़ुदारा न दुखाओ
राबिया सुलताना नाशाद (Rabiya Sultana Naashaad)
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24.
छुप जाएँ कहीं आ कि बहुत तेज़ है बारिश
ये मेरे तिरे जिस्म तो मिट्टी के बने हैं
सबा इकराम (Saba Ikram)
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25.
क्यूँ माँग रहे हो किसी बारिश की दुआएँ
तुम अपने शिकस्ता दर-ओ-दीवार तो देखो
जाज़िब क़ुरैशी (Jaazib Quraishi)
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26.
दफ़्तर से मिल नहीं रही छुट्टी वगर्ना मैं
बारिश की एक बूँद न बे-कार जाने दूँ
अज़हर फ़राग़ (Azhar Faragh)
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27.
बारिश-ए-संग का मौसम है मिरे शहर में तो
तू ये शीशे सा बदन ले के कहाँ आ गई दोस्त
अहमद फ़राज़ (Ahmed Faraz)
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28.
बता ऐ अब्र मुसावात क्यूँ नहीं करता
हमारे गाँव में बरसात क्यूँ नहीं करता
तहज़ीब हाफ़ी (Tehzeeb Hafi)
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29.
इतना तो हुआ फ़ाएदा बारिश की कमी का
इस शहर में अब कोई फिसल कर नहीं गिरता
क़तील शिफ़ाई (Qateel Shifai)
______ Barsaat Shayari Baarish Shayari
30.
भीगी मिट्टी की महक प्यास बढ़ा देती है
दर्द बरसात की बूँदों में बसा करता है
मरग़ूब अली (Marghoob Ali)
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31.
बरसात के आते ही तौबा न रही बाक़ी
बादल जो नज़र आए बदली मेरी नीयत भी
हसरत मोहानी (Hasrat Mohani)
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32.
रहने दो कि अब तुम भी मुझे पढ़ न सकोगे
बरसात में काग़ज़ की तरह भीग गया हूँ
बाक़ी सिद्दीक़ी (Baaqi Siddiqui)
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33.
दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था
क़तील शिफ़ाई (Qateel Shifai)
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34.
आँख भर आई किसी से जो मुलाक़ात हुई
ख़ुश्क मौसम था मगर टूट के बरसात हुई
मंज़र भोपाली (Manzar Bhopali)
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35.
धूप में कौन किसे याद किया करता है
पर तिरे शहर में बरसात तो होती होगी
अमीर इमाम (Ameer Imam)
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36.
बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है
निदा फ़ाज़ली (Nida Fazli)
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37.
बरसात थम चुकी है मगर हर शजर के पास
इतना तो है कि आप का दामन भिगो सके
अहसन यूसुफ़ ज़ई (Ahsan Yousuf Zai)
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38.
यूँ बरसती हैं तसव्वुर में पुरानी यादें
जैसे बरसात की रिम-झिम में समाँ होता है
क़तील शिफ़ाई (Qateel Shifai)
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39.
अब के सावन में शरारत ये मिरे साथ हुई
मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई
गोपालदास नीरज (Gopal Das Niraj)
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40.
हैं पत्थरों की ज़द पे तुम्हारी गली में हम
क्या आए थे यहाँ इसी बरसात के लिए
अनवर शऊर (Anwar Sha’oor)
Barsaat Shayari Baarish Shayari