घनी कहानी, छोटी शाखा: हरिशंकर परसाई की कहानी “भोलाराम का जीव” का पहला भाग
भोलाराम का जीव-हरिशंकर परसाई Parsayi ki kahani Bholaram ka jeev भाग-1 ऐसा कभी नहीं हुआ था। धर्मराज लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफ़ारिश के आधार पर स्वर्ग या नरक में निवास-स्थान ‘अलॉट’ करते आ रहे थे। पर ऐसा कभी नहीं हुआ था। सामने बैठे चित्रगुप्त बार-बार चश्मा पोंछ, बार-बार थूक से पन्ने … Read more