शायरी सीखें ~ क़त्आ, रूबाई, हम्द….

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Urdu Sahitya क़त्आ– दो या दो से अधिक शे’रों में जब एक विषय को शा’इरी में शामिल करने की कोशिश की जाती है तो शे’रों के इस समूह को क़त्’आ कहते हैं. क़त्आ ग़ज़ल के अन्दर भी हो सकते हैं और उसके बाहर भी, इसमें कोई पाबंदी जैसी चीज़ नहीं है. रूबाई– रूबाई चार-चार मिसरों … Read more

मिर्ज़ा ग़ालिब की रुबाइयाँ…

Mirza Ghalib ki shayari Ghalib Shayari Rubai Naqsh Fariyadi Hai Dard Minnat Kash Yak Zarra e Zamin Nahini Bekaar Baagh Ka Mirza Ghalib ke sher

मिर्ज़ा ग़ालिब (27 दिसंबर, 1796 – 15 फ़रवरी 1869) (Ghalib Shayari Rubai) उर्दू के सबसे महान शा’इरों में शुमार किये जाते हैं.उनकी ग़ज़लें तो सभी जानते हैं कि कितनी मक़बूल हैं लेकिन उनकी रुबाइयाँ भी उतनी ही मज़ेदार और प्यारी हैं. 1. आताशबाज़ी है जैसे शग़्ले-अत्फ़ाल है सोज़े-जिगर का भी इसी तौर का हाल था … Read more