अभिषेक शुक्ला के बेहतरीन शेर…
Abhishek Shukla Shayari मक़ाम-ए-वस्ल तो अर्ज़-ओ-समा के बीच में है मैं इस ज़मीन से निकलूँ तू आसमाँ से निकल अभिषेक…
हिन्दी और उर्दू साहित्य का संगम
Abhishek Shukla Shayari मक़ाम-ए-वस्ल तो अर्ज़-ओ-समा के बीच में है मैं इस ज़मीन से निकलूँ तू आसमाँ से निकल अभिषेक…