रेत पर सफ़र का लम्हा – अहमद शमीम
Ret Par Safar Ka Lamha रेत पर सफ़र का लम्हा – अहमद शमीम कभी हम ख़ूब-सूरत थे किताबों में बसी ख़ुश्बू की सूरत साँस साकिन थी बहुत से अन-कहे लफ़्ज़ों से तस्वीरें बनाते थे परिंदों के परों पर नज़्म लिख कर दूर की झीलों में बसने वाले लोगों को सुनाते थे जो हम से दूर … Read more