दो शा’इर, दो ग़ज़लें(8): अहमद फ़राज़ और बहज़ाद लखनवी…
Ab Aur Kya Kisi Se Marasim Badhayen Hum अहमद फ़राज़ की ग़ज़ल: अब और क्या किसी से मरासिम बढ़ाएँ हम…
हिन्दी और उर्दू साहित्य का संगम
Ab Aur Kya Kisi Se Marasim Badhayen Hum अहमद फ़राज़ की ग़ज़ल: अब और क्या किसी से मरासिम बढ़ाएँ हम…