घनी कहानी, छोटी शाखा: रवीन्द्र नाथ टैगोर की कहानी ‘पत्नी का पत्र’ का पहला भाग

श्रीचरणकमलेषु, आज हमारे विवाह को पंद्रह वर्ष हो गए, लेकिन अभी तक मैंने कभी तुमको चिट्ठी न लिखी। सदा तुम्हारे पास ही बनी रही – न जाने कितनी बातें कहती सुनती रही, पर चिट्ठी लिखने लायक दूरी कभी नहीं मिली। आज मैं श्री क्षेत्र में तीर्थ करने आई हूँ, तुम अपने ऑफिस के काम में … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: रवीन्द्रनाथ टैगोर की ‘अनाथ’ का तीसरा भाग

आपने अब तक पढ़ा कि शशिकला अपने पति से बहुत स्नेह करती है. उसकी कम उम्र में जयगोपाल बाबू से शादी हुई थी और बाल-बच्चे भी हो गए थे लेकिन कुछ समय से जयगोपाल बाबु पैसे कमाने की जुगत में बाहर चले गए थे और तब से ही उसे जुदाई सताने लगी थी. शशिकला लम्बे … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: रवीन्द्रनाथ टैगोर की ‘अनाथ’ का दूसरा भाग

पड़ोसन के मुँह से किसी और स्त्री के पति की बुराई भी शशिकला को अच्छी न लगी. वो इस बात को समझने में नाकाम थी कि एक स्त्री पुरुष के बारे में ऐसी राय कैसे रख सकती है. कम उम्र में जयगोपाल बाबू से शशिकला की शादी हुई थी और बाल-बच्चे भी हो गए थे लेकिन कुछ समय से जयगोपाल बाबु पैसे कमाने की जुगत में बाहर चले गए थे और तब से ही उसे जुदाई सताने लगी थी. शशिकला लम्बे समय तक अपने माता-पिता की एकलौती बेटी रही लेकिन शशिकला की बुज़ुर्ग माँ ने जब बेटे को जन्म दिया तो शशिकला और पति जयगोपाल को ये ख़ुशी जैसा न लगे. इसके बाद ही जयगोपाल पैसे कमाने के लिए आसाम के बाग़ीचों में नौकरी करने चल पड़ा. कुछ ही दिनों में शशिकला की माँ का स्वर्गवास हो गया और बच्चे के पालन-पोषण की ज़िम्मेदारी शशिकला पर आ गयी. धीरे-धीरे शशिकला बच्चे से घुल गयी, अब आगे…

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घनी कहानी, छोटी शाखा: जयशंकर प्रसाद की कहानी “छोटा जादूगर” का अंतिम भाग

(कार्निवल में उसकी निगाह अचानक एक लड़के पर पड़ती है. शराब पीने वाले लोगों को देख रहे इस लड़के की ओर वो आकर्षित हुआ और इस दिन के लिए उसी को अपना साथी मानने लगा. इस १३-१४ वर्ष के लड़के से जब वो अधिक बात करता है तो मालूम होता है कि उसका पिता जेल … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: सुभद्रा कुमारी चौहान की कहानी “हींगवाला’ का अंतिम भाग

(कहानी के पहले भाग में आपने पढ़ा कि किस तरह हींगवाला ख़ान सावित्री को हींग की ज़रूरत न होने पर भी हींग बेच जाता है. सावित्री के बच्चों को ये बात अच्छी नहीं लगती और उन्हें लगता है कि माँ ने पैसे ज़ाया कर दिए. बच्चे ज़िद करने लगते हैं कि उन्हें भी पैसे दिए … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: सुभद्रा कुमारी चौहान की कहानी “हींगवाला’ का पहला भाग

लगभग 35 साल का एक ख़ान आंगन में आकर रुक गया । हमेशा की तरह उसकी आवाज सुनाई दी – ”अम्मा… हींग लोगी?” पीठ पर बँधे हुए पीपे को खोलकर उसने, नीचे रख दिया और मौलसिरी के नीचे बने हुए चबूतरे पर बैठ गया । भीतर बरामदे से नौ – दस वर्ष के एक बालक … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी “कोई दुःख न हो तो बकरी ख़रीद लो” का अंतिम भाग

कोई दुःख न हो तो बकरी ख़रीद लो- मुंशी प्रेमचंद भाग-5 (अब तक आपने पढ़ा…अच्छा और शुद्ध दूध पाने की चाह में लेखक अपने दोस्त के साथ मिलकर एक गाय पालता है लेकिन कुछ दिन बाद उन्हें दूध के नाम पर मिलावट ही मिलती है, लेखक अपने दोस्त को कुछ भी नहीं कहता और जब … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी “कोई दुःख न हो तो बकरी ख़रीद लो” का चौथा भाग

कोई दुःख न हो तो बकरी ख़रीद लो- मुंशी प्रेमचंद भाग-4 (अब तक आपने पढ़ा…दूध की बढ़ती किल्लत और अच्छा दूध न मिलने पर लेखक अपने एक मित्र के साथ मिलकर एक गाय पालने की योजना बनाते हैं और दोनों मिलकर गाय पाल लेते हैं, ये गाय लेखक के मित्र के यहाँ रहती है. इसके … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी “कोई दुःख न हो तो बकरी ख़रीद लो” का पहला भाग

कोई दुःख न हो तो बकरी ख़रीद लो- मुंशी प्रेमचंद भाग-1 उन दिनों दूध की तकलीफ़ थी। कई डेरी फ़ार्मों की आज़माइश की, अहारों का इम्तहान लिया, कोई नतीजा नहीं हुआ। दो-चार दिन तो दूध अच्छा मिलता फिर मिलावट शुरू हो जाती। कभी शिकायत होती दूध फट गया, कभी उसमें से नागवार बू आने लगी, … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: गणेशशंकर विद्यार्थी की कहानी “हाथी की फाँसी” का दूसरा भाग

Malikzada Manzoor Shayari Premchand Ki Kahani Saut

हाथी की फाँसी- गणेशशंकर विद्यार्थी Haathi Ki Phansi घनी कहानी, छोटी शाखा: गणेशशंकर विद्यार्थी की कहानी “हाथी की फाँसी” का पहला भाग भाग-2 (अब तक आपने पढ़ा…पुराने ज़माने के नवाबों वाले शौक़ रखने वाले नवाब साहब का राज्य तो उनके हाथ से चला गया था लेकिन उनकी कोठी भी किसी राजमहल से कम न थी … Read more