मजाज़ की ग़ज़ल: “जिगर और दिल को बचाना भी है”
Jigar aur dil ko bachana जिगर और दिल को बचाना भी है, नज़र आप ही से मिलाना भी है मुहब्बत…
हिन्दी और उर्दू साहित्य का संगम
Jigar aur dil ko bachana जिगर और दिल को बचाना भी है, नज़र आप ही से मिलाना भी है मुहब्बत…