इश्क़ में ग़ैरत-ए-जज़्बात ने रोने न दिया.. सुदर्शन फ़ाकिर
Sudarshan Fakir Shayari इश्क़ में ग़ैरत-ए-जज़्बात ने रोने न दिया वर्ना क्या बात थी किस बात ने रोने न दिया…
हिन्दी और उर्दू साहित्य का संगम
Sudarshan Fakir Shayari इश्क़ में ग़ैरत-ए-जज़्बात ने रोने न दिया वर्ना क्या बात थी किस बात ने रोने न दिया…