ग़ज़ल शायरी वो हम-सफ़र था मगर उससे हम-नवाई न थी साहित्य दुनिया wo humsafar tha वो हम-सफ़र था मगर उससे हम-नवाई न थी कि धूप छाँव का आलम रहा जुदाई न थी…