घनी कहानी, छोटी शाखा: जयशंकर प्रसाद की कहानी “चूड़ीवाली” का पहला भाग
चूड़ीवाली- जयशंकर प्रसाद Jayshankar Prasad Ki Kahani Chooriwali भाग-1 “अभी तो पहना गई हो।” “बहूजी, बड़ी अच्छी चूडिय़ाँ हैं। सीधे बम्बई से पारसल मँगाया है। सरकार का हुक्म है; इसलिए नयी चूड़ियाँ आते ही चली आती हूँ।” “तो जाओ, सरकार को ही पहनाओ, मैं नहीं पहनती।” “बहूजी! जरा देख तो लीजिए।” कहती मुस्कराती हुई ढीठ चूड़ीवाली अपना … Read more