घनी कहानी, छोटी शाखा: जयशंकर प्रसाद की कहानी “छोटा जादूगर” का अंतिम भाग

(कार्निवल में उसकी निगाह अचानक एक लड़के पर पड़ती है. शराब पीने वाले लोगों को देख रहे इस लड़के की ओर वो आकर्षित हुआ और इस दिन के लिए उसी को अपना साथी मानने लगा. इस १३-१४ वर्ष के लड़के से जब वो अधिक बात करता है तो मालूम होता है कि उसका पिता जेल … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: जयशंकर प्रसाद की कहानी “छोटा जादूगर” का पहला भाग

छोटा जादूगर- जयशंकर प्रसाद भाग-1 कार्निवल के मैदान में बिजली जगमगा रही थी। हँसी और विनोद का कलनाद गूँज रहा था। मैं खड़ा था उस छोटे फुहारे के पास, जहाँ एक लड़का चुपचाप शराब पीनेवालों को देख रहा था। उसके गले में फटे कुर्ते के ऊपर से एक मोटी-सी सूत की रस्‍सी पड़ी थी और … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: सुभद्रा कुमारी चौहान की कहानी “हींगवाला’ का अंतिम भाग

(कहानी के पहले भाग में आपने पढ़ा कि किस तरह हींगवाला ख़ान सावित्री को हींग की ज़रूरत न होने पर भी हींग बेच जाता है. सावित्री के बच्चों को ये बात अच्छी नहीं लगती और उन्हें लगता है कि माँ ने पैसे ज़ाया कर दिए. बच्चे ज़िद करने लगते हैं कि उन्हें भी पैसे दिए … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: सुभद्रा कुमारी चौहान की कहानी “हींगवाला’ का पहला भाग

लगभग 35 साल का एक ख़ान आंगन में आकर रुक गया । हमेशा की तरह उसकी आवाज सुनाई दी – ”अम्मा… हींग लोगी?” पीठ पर बँधे हुए पीपे को खोलकर उसने, नीचे रख दिया और मौलसिरी के नीचे बने हुए चबूतरे पर बैठ गया । भीतर बरामदे से नौ – दस वर्ष के एक बालक … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी “कोई दुःख न हो तो बकरी ख़रीद लो” का अंतिम भाग

कोई दुःख न हो तो बकरी ख़रीद लो- मुंशी प्रेमचंद भाग-5 (अब तक आपने पढ़ा…अच्छा और शुद्ध दूध पाने की चाह में लेखक अपने दोस्त के साथ मिलकर एक गाय पालता है लेकिन कुछ दिन बाद उन्हें दूध के नाम पर मिलावट ही मिलती है, लेखक अपने दोस्त को कुछ भी नहीं कहता और जब … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी “कोई दुःख न हो तो बकरी ख़रीद लो” का चौथा भाग

कोई दुःख न हो तो बकरी ख़रीद लो- मुंशी प्रेमचंद भाग-4 (अब तक आपने पढ़ा…दूध की बढ़ती किल्लत और अच्छा दूध न मिलने पर लेखक अपने एक मित्र के साथ मिलकर एक गाय पालने की योजना बनाते हैं और दोनों मिलकर गाय पाल लेते हैं, ये गाय लेखक के मित्र के यहाँ रहती है. इसके … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी “कोई दुःख न हो तो बकरी ख़रीद लो” का तीसरा भाग

कोई दुःख न हो तो बकरी ख़रीद लो- मुंशी प्रेमचंद भाग-3 (अब तक आपने पढ़ा…लेखक दूध की परेशानी से बचने के लिए अपने दोस्त के साथ मिलकर गाय पालते हैं, कुछ समय के लिए तो दूध की आपूर्ति ठीक होती है..लेकिन कुछ वक़्त बाद घर में मिलावटी और घटिया क़िस्म का दूध आने लगता है. … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी “कोई दुःख न हो तो बकरी ख़रीद लो” का दूसरा भाग

कोई दुःख न हो तो बकरी ख़रीद लो- मुंशी प्रेमचंद भाग-2 (अब तक आपने पढ़ा..दूध की परेशानी से बचने के लिए लेखक अपने मित्र के साथ मिलकर गाय खरीदने की योजना बनाते हैं और दोनों मिलकर गाय ख़रीद लेते हैं जिसे पहले से किए समझौते के मुताबिक गाय लेखक के दोस्त के घर ही रहती … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी “कोई दुःख न हो तो बकरी ख़रीद लो” का पहला भाग

कोई दुःख न हो तो बकरी ख़रीद लो- मुंशी प्रेमचंद भाग-1 उन दिनों दूध की तकलीफ़ थी। कई डेरी फ़ार्मों की आज़माइश की, अहारों का इम्तहान लिया, कोई नतीजा नहीं हुआ। दो-चार दिन तो दूध अच्छा मिलता फिर मिलावट शुरू हो जाती। कभी शिकायत होती दूध फट गया, कभी उसमें से नागवार बू आने लगी, … Read more

घनी कहानी, छोटी शाखा: चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ की कहानी “हीरे का हार” का अंतिम भाग

हीरे का हार- चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ भाग-3 (अब तक आपने पढ़ा..घर में गुलाबदेई अपने पति लहनासिंह के तीन वर्ष बाद घर लौटने की तैयारी में लगी हुई थी…माँ भी लहनासिंह की राह देख रही थी लेकिन दोनों के मन में आशंका भी बनी हुई थी कि लहनासिंह दोनों पैरों पर चलकर आएगा या एक ही … Read more