Judai Shayari
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ
अहमद फ़राज़ (Ahmed Faraz)
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इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई की
आज पहली बार उससे मैंने बेवफ़ाई की
अहमद फ़राज़ (Ahmed Faraz)
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उसको जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआ
अब क्या कहें ये क़िस्सा पुराना बहुत हुआ
अहमद फ़राज़ (Ahmed Faraz)
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मुझ से बिछड़ के तू भी तो रोएगा उम्र भर
ये सोच ले कि मैं भी तिरी ख़्वाहिशों में हूँ
अहमद फ़राज़ (Ahmed Faraz)
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अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें
अहमद फ़राज़ (Ahmed Faraz)
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हुआ है तुझसे बिछड़ने के बा’द ये मा’लूम
कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी
अहमद फ़राज़ (Ahmed Faraz)
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अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो
तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो
मुनव्वर राना (Munavvar Rana)
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मिलना था इत्तिफ़ाक़ बिछड़ना नसीब था
वो उतनी दूर हो गया जितना क़रीब था
अंजुम रहबर (Anjum Rahbar)
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आप के बा’द हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है
गुलज़ार (Gulzar)
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कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ
उनसे कितना कुछ कहने की कोशिश की
गुलज़ार (Gulzar)
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जिसकी आँखों में कटी थीं सदियाँ
उसने सदियों की जुदाई दी है
गुलज़ार (Gulzar)
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वो आ रहे हैं वो आते हैं आ रहे होंगे
शब-ए-फ़िराक़ ये कह कर गुज़ार दी हम ने
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ (Faiz Ahmed Faiz) Judai Shayari
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तुम से बिछड़ कर ज़िंदा हैं
जान बहुत शर्मिंदा हैं
इफ़्तिख़ार आरिफ़ (Iftikhar Arif)
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आई होगी किसी को हिज्र में मौत
मुझको तो नींद भी नहीं आती
अकबर इलाहाबादी (Akbar Allahabadi)
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बदन में जैसे लहू ताज़ियाना हो गया है
उसे गले से लगाए ज़माना हो गया है
इरफ़ान सिद्दीक़ी (Irfan Siddiqui)
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जो गुज़ारी न जा सकी हमसे
हमने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
जौन एलिया (Jaun Elia)
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ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता
एक ही शख़्स था जहान में क्या
जौन एलिया (Jaun Elia)
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बहुत नज़दीक आती जा रही हो
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या
जौन एलिया (Jaun Elia)
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उस गली ने ये सुन के सब्र किया
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं
जौन एलिया (Jaun Elia)
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क्या कहा इश्क़ जावेदानी है!
आख़िरी बार मिल रही हो क्या
जौन एलिया (Jaun Elia)
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क्या सितम है कि अब तिरी सूरत
ग़ौर करने पे याद आती है
जौन एलिया (Jaun Elia)
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नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम
जौन एलिया (Jaun Elia)
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याद उसे इंतिहाई करते हैं
सो हम उसकी बुराई करते हैं
जौन एलिया (Jaun Elia)
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कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उसको भाते होंगे
जौन एलिया (Jaun Elia)
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अब तो हर बात याद रहती है
ग़ालिबन मैं किसी को भूल गया
जौन एलिया (Jaun Elia)
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ऐ शख़्स मैं तेरी जुस्तुजू से
बे-ज़ार नहीं हूँ थक गया हूँ
जौन एलिया (Jaun Elia)
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इक अजब हाल है कि अब उसको
याद करना भी बेवफ़ाई है
जौन एलिया (Jaun Elia)
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क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में
जो भी ख़ुश है हम उससे जलते हैं
जौन एलिया (Jaun Elia)
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तुम्हारी याद में जीने की आरज़ू है अभी
कुछ अपना हाल सँभालूँ अगर इजाज़त हो
जौन एलिया (Jaun Elia)
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हम तिरा हिज्र मनाने के लिए निकले हैं
शहर में आग लगाने के लिए निकले हैं
जौन एलिया (Jaun Elia)
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कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता
निदा फ़ाज़ली (Nida Fazli)
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दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है
निदा फ़ाज़ली (Nida Fazli)
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कुछ ख़बर है तुझे ओ चैन से सोने वाले
रात भर कौन तिरी याद में बेदार रहा
हिज्र नाज़िम अली ख़ान (Hijr Nazim Ali Khan)
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यूँ लगे दोस्त तिरा मुझसे ख़फ़ा हो जाना
जिस तरह फूल से ख़ुशबू का जुदा हो जाना
क़तील शिफ़ाई (Qateel Shifai)
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हम उसे याद बहुत आएँगे
जब उसे भी कोई ठुकराएगा
क़तील शिफ़ाई (Qateel Shifai)
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चलो अच्छा हुआ काम आ गई दीवानगी अपनी
वगरना हम ज़माने भर को समझाने कहाँ जाते
क़तील शिफ़ाई (Qateel Shifai) Judai Shayari
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ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में
ख़ुदा किसी को किसी से मगर जुदा न करे
क़तील शिफ़ाई (Qateel Shifai)
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थक गया मैं करते करते याद तुझको
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ
क़तील शिफ़ाई (Qateel Shifai)
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दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था
क़तील शिफ़ाई (Qateel Shifai)
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तुम पूछो और मैं न बताऊँ ऐसे तो हालात नहीं
एक ज़रा सा दिल टूटा है और तो कोई बात नहीं
क़तील शिफ़ाई (Qateel Shifai)
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परेशाँ रात सारी है सितारो तुम तो सो जाओ
सुकूत-ए-मर्ग तारी है सितारो तुम तो सो जाओ
क़तील शिफ़ाई (Qateel Shifai)
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रोते फिरते हैं सारी सारी रात
अब यही रोज़गार है अपना
मीर तक़ी मीर (Meer Taqi Meer)
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इश्क़ इक ‘मीर’ भारी पत्थर है
कब ये तुझ ना-तवाँ से उठता है
मीर तक़ी मीर (Meer Taqi Meer)
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दिल की वीरानी का क्या मज़कूर है
ये नगर सौ मर्तबा लूटा गया
मीर तक़ी मीर (Meer Taqi Meer)
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आग थे इब्तिदा-ए-इश्क़ में हम
अब जो हैं ख़ाक इंतिहा है ये
मीर तक़ी मीर (Meer Taqi Meer)
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सिरहाने ‘मीर’ के कोई न बोलो
अभी टुक रोते रोते सो गया है
मीर तक़ी मीर (Meer Taqi Meer)
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ज़ख़्म झेले दाग़ भी खाए बहुत
दिल लगा कर हम तो पछताए बहुत
मीर तक़ी मीर (Meer Taqi Meer)
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बे-ख़ुदी ले गई कहाँ हम को
देर से इंतिज़ार है अपना
मीर तक़ी मीर (Meer Taqi Meer)
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यूँ ज़िंदगी गुज़ार रहा हूँ तिरे बग़ैर
जैसे कोई गुनाह किए जा रहा हूँ मैं
जिगर मुरादाबादी (Jigar Muradabadi)
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ढलेगी शाम जहाँ कुछ नज़र न आएगा
फिर इस के ब’अद बहुत याद घर की आएगी
राजेन्द्र मनचंदा बानी (Rajendra Manchanda Bani)
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उदास शाम की यादों भरी सुलगती हवा
हमें फिर आज पुराने दयार ले आई
राजेन्द्र मनचंदा बानी (Rajendra Manchanda Bani) Judai Shayari
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मुझे पता था कि ये हादसा भी होना था
मैं उससे मिल के न था ख़ुश जुदा भी होना था
राजेन्द्र मनचंदा बानी (Rajendra Manchanda Bani)
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थी वस्ल में भी फ़िक्र-ए-जुदाई तमाम शब
वो आए तो भी नींद न आई तमाम शब
मोमिन ख़ाँ मोमिन (Momin Khan Momin)
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जुदा किसी से किसी का ग़रज़ हबीब न हो
ये दाग़ वो है कि दुश्मन को भी नसीब न हो
नज़ीर अकबराबादी (Nazeer Akbarabadi)
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याद है अब तक तुझसे बिछड़ने की वो अँधेरी शाम मुझे
तू ख़ामोश खड़ा था लेकिन बातें करता था काजल
नासिर काज़मी (Nasir Kazmi)
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मैंने समझा था कि लौट आते हैं जाने वाले
तूने जा कर तो जुदाई मिरी क़िस्मत कर दी
अहमद नदीम क़ासमी (Ahmad Nadeem Qasmi)
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मर जाता हूँ जब ये सोचता हूँ
मैं तेरे बग़ैर जी रहा हूँ
अहमद नदीम क़ासमी (Ahmad Nadeem Qasmi)
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फ़िराक़-ए-यार ने बेचैन मुझको रात भर रक्खा
कभी तकिया इधर रक्खा कभी तकिया उधर रक्खा
अमीर मीनाई (Ameer Minai)
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उसी मक़ाम पे कल मुझको देख कर तन्हा
बहुत उदास हुए फूल बेचने वाले
जमाल एहसानी (Jamal Ehsani)
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रुके रुके से क़दम रुक के बार बार चले
क़रार दे के तिरे दर से बे-क़रार चले
गुलज़ार (Gulzar)
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आबाद मुझ में तेरे सिवा और कौन है?
तुझसे बिछड़ रहा हूँ तुझे खो नहीं रहा
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इरफ़ान सत्तार (Irfan Sattar)
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तुम्हें ख़याल नहीं किस तरह बताएँ तुम्हें
कि साँस चलती है लेकिन उदास चलती है
महबूब ख़िज़ां (Mahboob Khizaan)
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हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई क्यूँ है
अब तो हर वक़्त यही बात सताती है हमें
शहरयार (Shaharyar)
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महीने वस्ल के घड़ियों की सूरत उड़ते जाते हैं
मगर घड़ियाँ जुदाई की गुज़रती हैं महीनों में
अल्लामा इक़बाल (Allama Iqbal)
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अब नहीं लौट के आने वाला
घर खुला छोड़ के जाने वाला
अख़्तर नज़्मी (Akhtar Nazmi)
Judai Shayari