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चीकू उछल-उछल के दीवार पर चढ़ी बिल्ली को पकड़ने की कोशिश कर रहा था..ननकू बरामदे में रसगुल्ला को लेकर बैठा हुआ चीकू को देख रहा है। रसगुल्ला ननकू की गोदी से निकल के चीकू के पास भागा और वो भी कूद-कूद के बिल्ली को पकड़ने की कोशिश करने लगा। ननकू थोड़ी देर तो दोनों को देखता रहा फिर उन्हें बुलाने लगा-

“चीकू..रसगुल्ला..आओ न, खेलेंगे”- ननकू की आवाज़ ती जैसे चीकू और रसगुल्ला को सुनाई ही नहीं दे रही थी..दोनों बिल्ली को पकड़ने के लिए कूद रहे थे। ननकू भी उठा और दोनों के पास चला, बिल्ली रसगुल्ला और चीकू के उछलना देखते हुए खड़ी थी लेकिन जैसे ही ननकू को आता देखी कि झट से बाहर कूदकर भाग गयी। बिल्ली के भागते ही चीकू और रसगुल्ला ननकू को ऐसे देखने लगे जैसे उसने बिल्ली को भगा दिया।

“मैंने नहीं भगाया..सच्ची..वो तो ख़ुद ही भाग गयी”- ननकू रसगुल्ला और चीकू को समझाने की कोशिश कर रहा था कि चीकू और रसगुल्ला उससे नाराज़ होकर दूसरी तरफ़ जाकर बैठ गए। तभी राखी बुआ बाहर आयीं तो ननकू को चुप बैठा देखकर बोली- “अरे आज अलग-अलग क्यों बैठे हो?”

“बुआ, रसगुल्ला और चीकू मुझसे नाराज़ हो गए”- ननकू बोला “अब मैं किसके साथ खेलूँगा?”

“चीकू और रसगुल्ला तुझसे नाराज़ हो गए…ये कैसे हो गया..?”- राखी बुआ आश्चर्य से बोलीं

ननकू ने सारी बात राखी बुआ को बतायी ये सुनकर राखी बुआ कुछ सोचने लगी। ननकू बोला

“राखी बुआ..बोलो न रसगुल्ला और चीकू को कैसे मनाऊँ?”

“हाँ बाबा..सोचने तो दे..”- राखी बुआ ने कहा..अचानक बुआ को एक आयडिया आया और बुआ ने ननकू का हटा पकड़ के कहा “ननकू तू चल मेरे साथ”

“लेकिन बुआ..रसगुल्ला और चीकू”- ननकू दोनों की तरफ़ देखता हुआ बोला

बुआ ने ननकू का हाथ पकड़ा हुआ था उसे लेकर अंदर चली गयीं। इतनी देर से चीकू और रसगुल्ला भी ननकू को ही देख रहे थे। उनको तो समझ ही नहीं आ रहा था कि ननकू आख़िर उनके पास आने की बजाय अंदर क्यों चला गया..असल में वो दोनों तो बस एक मिनट को नाराज़ हुए थे, उन्हें लगा था कि ननकू आएगा गले से लगाएगा और वो तीनों कुछ खेलने लगेंगे। लेकिन इधर तो मामला ही उलटा हो गया। अब राखी बुआ उन दोनों को मनाने में ननकू की मदद करने वाली हैं लेकिन ये दोनों तो नाराज़ ही नहीं हैं।

जब देर तक ननकू बाहर नहीं आया तो रसगुल्ला और चीकू से रहा ही नहीं गया वो दोनों उठे और चल पड़े ननकू को देखने..अंदर जाकर उन्होंने देखा..ननकू तो राखी बुआ के साथ खेल रहा था। चीकू और रसगुल्ला ने एक-दूसरे को देखा रसगुल्ला तो कूदता हुआ राखी बुआ और ननकू के साथ खेलने जा ही रहा था कि चीकू ने उसको रोक लिया और उसे लेकर बाहर दादी और मौसी दादी के पास बैठ गया।

माँ ने रसोई से चीकू और रसगुल्ला को देखा..रसगुल्ला तो अब भी ननकू की तरफ़ देख रहा था..माँ ने ननकू को देखा तो उसका ध्यान भी खेल में कम रसगुल्ला और चीकू की ओर ज़्यादा था। माँ को कुछ समझ नहीं आया तो वो ननकू से पूछने वाली थीं कि राखी बुआ ने मुस्कुराकर माँ को इशारे में सब समझा दिया। माँ भी मुस्कुराती हुई उनके पास ही बैठ गयी..और देखने लगीं ननकू का मन भी रसगुल्ला और चीकू में लगा था।

घर में ये बात अब फैल गयी थी कि चीकू और रसगुल्ला ननकू से नाराज़ हो गए हैं और ननकू उन्हें मनाने का तरीक़ा खोज रहा है। जबकि सबको दिख भी रहा था कि तीनों एक-दूसरे के साथ खेलने के लिए बेचैन हैं। राखी बुआ ने अपने हाथ से रसगुल्ला और चीकू को खाना दिया ननकू पास में ही खड़ा रहा..जैसे ही बुआ किचन में आयी ननकू पीछे-पीछे आकर बोला-
“बुआ..आप सेंवई बना दोगे?”
“तुझको खाना है?”- बुआ ने प्यार से पूछा
“नहीं बुआ..चीकू को न सेनवी बहुत पसंद हैं..उसको खिलाऊँगा न तो मान जाएगा और रसगुल्ला को तो आम खिला देंगे”- ननकू ख़ुश होता हुआ बोला
बुआ बोली “तुझे मैंने जैसा बताया है न वैसे ही कर..देखना दोनों अपने आप मान जाएँगे”

माँ भी उनकी बात सुनते हुए वहाँ आ गयी “अच्छा..क्या आयडिया दिया है भई राखी?”

ननकू बोला “माँ..बुआ बोलती हैं कि चीकू और रसगुल्ला से मैं भी नाराज़ हो जाऊँ तो वो दोनों मान जाएँगे..वो दोनों तो और ग़ुस्सा हो रहे हैं”

राखी बुआ ननकू को रूँआसा देखकर बोली – “भाभी वो तो मैं..”..माँ ने आँख से इशारा करके राखी बुआ को शांत रहने कहा और मुस्कुराकर जताया कि कोई बात नहीं है..माँ ननकू को गोद में उठाकर गले से लगा लीं। माँ ने ननकू को कान में कुछ बताया ननकू ख़ुश हो गया और झट से गोदी से उतर के बाहर भागा। सब उसे देखने लगे यहाँ तक कि चीकू और रसगुल्ला भी..रसगुल्ला से तो रहा ही नहीं जा रहा था वो तो बाहर जाना चाहता था लेकिन चीकू को देखकर बैठा था। ननकू आया और चुपके से दो फूल रसगुल्ला और चीकू के पास रखकर झट से कमरे में भाग गया। सब मुस्कुरा उठे..चीकू और रसगुल्ला ने फूल सूँघा लेकिन मानते किससे ननकू तो भाग गया था।

दोपहर हो गयी थी जब ननकू बाहर आया तो देखा कि चीकू और रसगुल्ला सो रहे हैं। उसने उनके पास बॉल रखी और इंतज़ार करने लगा कि वो उसके साथ खेलने आएँ लेकिन दोनों सो रहे थे तो नहीं आए। ननकू उन्हें देख रहा था कि उसे एक आयडिया आया बस वो झटपट दौड़ के राखी बुआ के पास गया और वहाँ से कटोरी में कुछ लेकर बाहर चला गया। राखी बुआ भी साथ ही चली गयीं..बरामदे में राखी बुआ की गोद में बैठा ननकू बोला- “राखी बुआ..बिल्ली दूध पीने आएगी न..?”

“बिल्ली को दूध तो पसंद है पर कब आएगी ये नहीं पता”- राखी बुआ ननकू को गले से लगाकर बैठी थीं। अब ननकू का परेशान होना उन्हें भी अच्छा नहीं लग रहा था। उन्हें ही क्या रसगुल्ला और चीकू भी अब ननकू को मिस करने लगे थे। वो दोनों ननकू को ढूँढते हुए बाहर आ गए और चुपके से उसके पास बैठ गए लेकिन ननकू तो कटोरी को देखे जा रहा था और तभी बिल्ली आ गयी..ननकू ख़ुश तो हुआ पर धीरे से बोला..”बुआ..बिल्ली आ गयी..अब चीकू और रसगुल्ला को बुलाता हूँ”

“बुलाएगा क्या..तेरे पास ही बैठे हैं दोनों” बुआ ने कहा तो ननकू झट से उठकर दोनों को देखने लगा और बोला..”चीकू..रसगुल्ला.. वो देखो बिल्ली आ गयी”

चीकू ज़ोर से भौंका और बिल्ली भाग गयी। ननकू ने उसको देखा और हल्का नाराज़ होते हुए बोला
“अच्छा…अभी ख़ुद भागा दिया..कितने देर में आयी थी..बुआ देखे आप?”

राखी बुआ कुछ कहती कि चीकू और रसगुल्ला तो ननकू के ऊपर कूद ही गए और उसको ऐसे चाटने लगे जैसे बहुत दिनों बाद मिले हो..ननकू तो बस हँसे जा रहा था। हँसते-हँसते जैसे ही राखी बुआ की गोद से उतरा कि झट से रसगुल्ला राखी बुआ की गोद में सवार हो गया। चीकू और ननकू मस्ती करते हुए आँगन में दौड़ने लगे अब रसगुल्ला भी मस्ती में शामिल हो गया। तीनों की आवाज़ सुनकर सभी बाहर आ गए और उन्हें देखने लगे। दोस्तों की नाराज़गी ख़त्म हुई।

(देखा आपने ऐसे ही होता है न हम नाराज़ तो थोड़ा सा होते हैं लेकिन हमारे दोस्तों को लगता है कि बहुत नाराज़ है और वो आपको मनाना चाहते हुए भी मनाने नहीं आते। इसलिए कभी भी किसी से नाराज़ होना हो तो बस ज़रा सा होना..अभी तो आप भी आ जाओ ननकू, रसगुल्ला और चीकू की मस्ती में शामिल होने..पर ज़रा धीरे-धीरे आना वो बिल्ली वापस आ गयी है न कटोरी का दूध पीने)

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