सभी बड़े बैठकर बातें करने लगे। ननकू, रसगुल्ला और चीकू, रॉकी के साथ बाहर आ गए, तभी ननकू को कुछ याद आया
“रॉकी चाचा..नानी ने एक फूल का पेड़ दिया था, उसको भूक लगी होगी न”
“अरे तुम्हारे पौधे को खिला पिला के मोटा कर दिए हैं हम..देखो बैठा है यहाँ”- रॉकी ने आँगन की छोटी दीवार की ओर इशारा किया। पौधे में लगा हुआ फूल खिला हुआ था। ननकू ख़ुश हो गया।
“और तुम नानी के घर क्या-क्या किए?”- रॉकी चाचा ने यूँ ही बात चलाते हुए पूछा
“पता है चाचा नानी के घर के नैंसी है न उसके यहाँ तो ट्री हाउस है…..” ननकू की बातें शुरू हो गयी- “पता है रसगुल्ला न गड्ढे में गिर गया था…” वो बोलते जा रहा था और रॉकी चाचा, चीकू और रसगुल्ला मज़े से उसकी बात सुन रहे थे..”चीकू तो सुपर हीरो है”- ये कहते हुए ननकू ने चीकू को गले से लगा लिया। उसे देखकर रसगुल्ला भौंका, ननकू ने उसको भी दूसरे हाथ से गले लगाते हुए कहा- “रसगुल्ला भी अपना हीरो है”
रॉकी चाचा तीनों की यारी देखकर ख़ुश हो गए। ये बातें चल ही रही थी कि सब शादी से लौटकर आ गए। सब मतलब मौसी दादी की लड़की राखी बुआ, जो कॉलेज में पढ़ती हैं और इनके साथ आए राजू चाचा, जो काम करते हैं। जैसे ही दोनों अंदर आए चीकू और रसगुल्ला उन्हें देखकर कूदने लगे और उनकी ओर भागे। इन दोनों को अपनी ओर आता देख के राखी बुआ ज़ोर से चिल्लायी और भाग के राजू चाचा के पीछे छुप गयी-
“रॉकी..हटा न इनको..कहाँ से आए ये?”
राखी बुआ के चिल्लाने से रसगुल्ला और चीकू दोनों डर गए। रसगुल्ला तो सीधे ननकू की गोद में छुप गया, चीकू भी उसके पास आकर खड़ा हो गया..ननकू भी दोनों को देखने लगा। रॉकी ने कहा
“क्या राखी..बच्चे लोगों को डरा दी..ऐसे कोई चिल्लाता है क्या?”
राखी का चिल्लाना सुनकर पापा, माँ, दादी और मौसी दादी भी बाहर आ गए। माँ ने देखा चीकू और रसगुल्ला डर गए हैं तो वो ननकू के पास बैठ गयीं..चीकू झट से उनके पास आ गया और ननकू भी माँ से चिपक गया। मौसी दादी बोलीं- “राखी, बाहर के से डरती हो..अब इत्ते छोटे-छोटे से भी डरोगी क्या?
“कुत्ता तो कुत्ता होता है छोटा क्या बड़ा क्या?”- राखी झेंपती हुई बोली
मौसी दादी ने सिर हिलाते हुए कहा “ये लड़की भी न…” फिर ननकू को देखकर मौसी दादी बोलीं- “तेरी बुआ को कुत्तों से डर लगता है..क्या करें बता”
“कुत्ता कहाँ है मौसी दादी..बुआ तो रसगुल्ला और चीकू से डर गयीं और इनको भी डरा दिया और मुझे भी”- ननकू धीमे से बोला
राखी को अपनी ग़लती का अहसास हुआ लेकिन डर अब भी बाक़ी था। उसने ननकू को प्यार से देखा
तभी पापा बोले- “मौसी इसको साथ में लेकर जाऊँगा और पीछे इनके साथ बैठकर जाएगी अपने आप सारा डर निकल जाएगा”
सब मुस्कुरा दिए। राखी चुपके से किनारे से होते हुए चीकू, रसगुल्ला से बचते हुए अंदर चली गयी। ननकू, रसगुल्ला और चीकू उसे देखते रहे। बड़ों की बातें फिर शुरू हो गयी।
(ये तो बड़ी गड़बड़ हो गयी। राखी मौसी चीकू और रसगुल्ला से डर गयीं और उन्हें डरा भी दिया। ऐसे तो यहाँ दो दिन रहना भी मुश्किल होगा, अब ननकू क्या करेगा? पूरे दो दिन तो ननकू, चीकू और रसगुल्ला अंदर बंद होकर नहीं रह सकते न..चिल्लाकर राखी बुआ को भी बुरा लगा..तो अब राखी बुआ का डर कैसे दूर होगा? क्या चीकू, रसगुल्ला और ननकू राखी बुआ से दोस्ती कर पाएँगे या दो दिन यहाँ बिताकर ऐसे ही घर चले जाएँगे..ये तो बाद में पता चलेगा अभी तो ननकू, चीकू और। रसगुल्ला को लेकर रॉकी चाचा बाज़ार घूमने चल दिए)