क ख ग वर्णमाला : व्याकरण की बातें- वर्णमाला
क ख ग घ वर्णमाला ~ अगर हम अपने साक्षर होने की बात सोचें तो याद आते हैं वो अक्षर जिनसे हमारी पहचान बस शुरू ही हुई थी. हममें से कुछ होंगे जिन्होंने स्कूल जाकर पहली बार इन अक्षरों से मुलाक़ात की होगी और वहीं कुछ ऐसे होंगे जो घर पर ही इन अक्षरों से मुलाक़ात तो कर चुके होंगें लेकिन दोस्ती स्कूल के रास्ते में, क्लास में या शायद खाने की छुट्टी में हुई होगी।
याद है जब पहली बार हमारे सामने ये अलग-अलग अक्षर आए थे और हमने उन्हें बड़े ही आश्चर्य से देखा था। फिर कितनी मुश्किलों से हमारी इनके साथ दोस्ती हुई थी और अब हम इनके ज़रिए दूर बैठे अपने दोस्तों तक भी अपनी बात आसानी से पहुँचा देते हैं। अक्षरों से पहचान करके जितना आसान हमारा जीवन बना था वहीं आजकल हम इन्हें ज़रा-ज़रा भूलने भी लगे हैं और तो और कई बार इन्हें ग़लत तरीक़े से या इनके साथियों के नामों से बुला लेते हैं।
कहने का अर्थ ये है..
कि अक्षर-ज्ञान के साथ-साथ जो उच्चारण का ज्ञान हमने सीखा था उसे दोहराने की ज़रूरत महसूस होने लगी है। पर जब ये दोस्ती इतनी पुरानी है और हमें इस पर नाज़ भी है तो क्यों न थोड़ी-सी मेहनत इस ओर कर ली जाए। आज “विश्व साक्षरता दिवस” पर मिलकर करते हैं अपनी पहली क्लास की कुछ यादें ताज़ा..आज हम वर्णमाला के वर्णों का उच्चारण के आधार पर किस तरह वर्गीकरण होता है, इस बारे में बात करेंगें। तो तैयार हैं अपनी पहली क्लास की यादों के लिए? Hindi Varnmala
वर्णमाला
स्वर– अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अः ऋ
व्यंजन-
क ख ग घ ङ
च छ ज झ ञ
ट ठ ड ढ ण
त थ द ध न
प फ ब भ म
य र ल व श ष स ह
मिश्रित वर्ण- क्ष त्र ज्ञ
ऊपर लिखी हमारी वर्णमाला को स्वर तथा व्यंजन में बाँटा जाता है। स्वर ऐसे वर्ण हैं जिनसे वर्णों को स्वर या उनका उच्चारण मिलता है। इन्हें ही मात्राओं की तरह इस्तेमाल किया जाता है। स्वर को दो भागों में बाँटा जाता है: लघु स्वर और गुरु/दीर्घ स्वर
लघु स्वर- अ इ उ ए ओ
गुरु/दीर्घ स्वर- आ ई ऊ ऐ औ
यहाँ “अ” एक ऐसा स्वर है जिससे हर व्यंजन वर्ण को उसका स्वर मिलता है। अगर हम व्यंजन वर्णों को “अ” के बग़ैर लिखें तो वो कुछ इस तरह लिखे जाएँगे:
क् ख् ग् घ्
हलन्त के साथ लेकिन जब इनमें “अ” जुड़ जाता है तो उन्हें उनका स्वर मिल जाता है और वो इस तरह पूर्ण रूप में लिखे जाते हैं।
क ख ग घ
मिश्रित वर्ण- मिश्रित वर्ण ऐसे वर्ण हैं जो किन्हीं दो वर्णों के मेल से बनते हैं, जैसे:
क्ष = क+ ष
त्र = त+ र
ज्ञ = ज+ ञ
उच्चारण
स्वर वर्ण या मात्राओं के उच्चारण और उनकी मात्रा के बारे में हम आपको पहले बता चुके हैं। इसलिए सीधे बढ़ते हैं व्यंजन वर्णों के उच्चारण की ओर, पर साथ में ही हम स्वर के उच्चारण की बातें भी कर लेंगे।
उच्चारण के आधार पर वर्णमाला को मूलतः पाँच भागों में बाँटा गया है:
1)कंठव्य– ऐसे वर्ण जिनको बोलते समय कंठ या गले का उपयोग होता है, उन्हें कंठव्य वर्ण कहा जाता है। इनमें आते हैं:
व्यंजन– क ख ग घ ङ और ह
स्वर– अ आ और अः
2) तालव्य– ऐसे वर्ण जिन्हें बोलते समय तालू (ऊपरी जबड़े में दाँत के ठीक पीछे का भाग) का उपयोग होता है, उन्हें तालव्य वर्ण कहा जाता है। इनमें आते हैं:
व्यंजन– च छ ज झ ञ और श
स्वर– इ और ई
3) मूर्धन्य– ऐसे वर्ण जिन्हें बोलते समय तालू के पीछे का भाग यानी मूर्धा का उपयोग होता है, उन्हें मूर्धन्य वर्ण कहा जाता है। इनमें आते हैं:
व्यंजन– ट ठ ड ढ ण र और ष
4) दंत्य– ऐसे वर्ण जिन्हें बोलते समय जीभ दाँतों को छूती है, उन्हें दंत्य वर्ण कहा जाता है। इनमें आते हैं:
व्यंजन– त थ द ध न ल और स
5) ओष्ठय– ऐसे वर्ण जिन्हें बोलते समय होंठों का उपयोग होता है, उन्हें ओष्ठय वर्ण कहा जाता है। इनमें आते हैं:
व्यंजन– प फ ब भ और म
स्वर– उ और ऊ
अधिकांश वर्ण इन्हीं पाँच वर्गों में शामिल होते हैं, लेकिन कुछ वर्ण ऐसे भी हैं जो इन वर्गों में से किन्हीं दो में आते हैं। उनके लिए तीन अलग वर्गों का उल्लेख मिलता है।
1)कंठ तालव्य- इनके इस्तेमाल में कंठ या गले के साथ-साथ तालू का भी इस्तेमाल होता है। इनमें आते हैं:
स्वर– ए और ऐ
2)कंठोष्ठय– इनके इस्तेमाल में कंठ या गले के साथ-साथ होंठों का भी इस्तेमाल होता है।इनमें आते हैं:
स्वर– ओ और औ
3)दंत्योष्ठय– इनके इस्तेमाल में दाँतों और होंठों का साथ में इस्तेमाल होता है।इनमें आते हैं:
व्यंजन– व
वर्णों के सही उच्चारण को जान लेने का एक बहुत बड़ा फ़ायदा ये है कि जब बाद में हम इन वर्णों को शब्दों में एक साथ गूँथा हुआ पाते हैं तो आसानी से इनके उच्चारण को ध्यान में रखकर शब्दों का भी सही उच्चारण कर पाते हैं। आख़िर शुरुआत में वर्णमाला का ज्ञान यूँही तो नहीं कराया जाता। ~ क ख ग वर्णमाला
हिन्दी व्याकरण: बिंदु और चंद्रबिंदु का प्रयोग..
हिन्दी व्याकरण: ड और ढ
हिन्दी व्याकरण: “है” और “हैं” का प्रयोग
हिन्दी व्याकरण: “उ” और “ऊ” की मात्रा में अंतर और उनका उपयोग
हिन्दी व्याकरण: “इ” और “ई” की मात्रा में अंतर और उनका उपयोग
हिन्दी व्याकरण: “ओ” और “औ” की मात्रा में अंतर और उनका उपयोग
हिन्दी व्याकरण: “वाला/वाली” शब्द के प्रयोग
हिन्दी व्याकरण: “र” के विभिन्न रूप
हिन्दी व्याकरण: “की” और “कि” का प्रयोग