Khumar Barabankvi Ki Shayari
वही फिर मुझे याद आने लगे हैं
जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं
वो हैं पास और याद आने लगे हैं
मुहब्बत के होश अब ठिकाने लगे हैं
सुना है हमें वो भुलाने लगे हैं
तो क्या हम उन्हें याद आने लगे हैं
हटाए थे जो राह से दोस्तों की
वो पत्थर मिरे घर में आने लगे हैं
ये कहना था उन से मुहब्बत है मुझ को
ये कहने में मुझ को ज़माने लगे हैं ICC World Test Championship Final Dates Announced
Khumar Barabankvi Ki Shayari
क़यामत यक़ीनन क़रीब आ गई है
‘ख़ुमार’ अब तो मस्जिद में जाने लगे हैं
~ ख़ुमार बाराबंकवी