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Mamta Singh Book Kirkiri

Mamta Singh Book Kirkiri

‘किरकिरी’ लेखिका ममता सिंह की तीसरी किताब है और दूसरा कहानी संग्रह। ‘किरकिरी’ में उन्होंने हर कहानी में एक अलग ही विषय का चुनाव किया है। उनके विषय एक-दूसरे से भिन्न हैं और उन्हें पेश करने का तरीक़ा भी उसी अन्दाज़ में है। इस संग्रह में प्रेम के विभिन्न रूपों को प्रदर्शित करने का, लेखिका का अन्दाज़ निराला है। एक ओर अधेड़ उम्र में भी अपने प्यार को याद रखने वाली दादी है तो दूसरी ओर ख़ुद से कम उम्र की लड़की के प्यार में डूबता तरता केशव, देश के दिल में अपनी जगह बनाने का संघर्ष करता कश्मीरी अल्ताफ़ वानी।(Mamta Singh Book Kirkiri)

लेखिका ममता सिंह के लेखन में एक सादगी है। वो कहानी के परिवेश कुछ इस तरह चुनती हैं कि आपको हर पात्र अपने आसपास का ही लगता है। वो स्थान की विस्तृत जानकारी, जगहों के नाम, देश- विदेश की ताज़ा-तरीन घटनाओं को अपनी कहानियों में इस तरह पिरोती हैं कि आप चाहकर भी ख़ुद को उस कहानी का हिस्सा मानने से नहीं रोक सकते। पात्र आपको ये अहसास कराते चलते हैं कि ये आपके ही जीवन की कोई घटना है या आपके आसपास घटित कोई बात।

ममता सिंह की किताब ‘किरकिरी’:कहानी के विषय करते हैं अचंभित

‘किरकिरी’ की हर कहानी अपना अलग वजूद रखती है। उनके विषय इतने भिन्न होने के बाद भी समाज से जुड़े हुए ही हैं। यही वजह है कि पाठक उनकी कहानियों से एक अलग जुड़ाव महसूस करता है। ‘हथेली पर पिघलता चाँद’ कश्मीरी अल्ताफ़ वानी के साथ लगातार होते भेदभाव की कहानी कहता है। तो ‘तुझी मी वाट पाहते’ पहले प्यार की अधूरी कसक को महसूस करवाती है। ‘किरकिरी’ दफ़्तर की खींचतान और संघर्ष से भरी उस दुनिया में ले जाती है जिससे शायद सभी दो-चार होते हैं।

‘मन का सिस्टम शट-डाउन नहीं होता’ बच्चे की मानसिक व्यथा को उजागर करते हैं। जिसे कामकाजी माता-पिता के कारण क्रेच में भेदभाव झेलना पड़ता है। ‘दहकते पलाश की छाँव में’ प्रेम के एक अनोखे रूप को प्रदर्शित करती है। ‘अधजगी आँखों की गुफ़्तगू’ किसी फ़िल्म की सी कहानी लगती है, जहाँ अलग-अलग भाव सामने आते हैं और कहानी कई मोड़ लेती है।

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Mamta Singh Book Kirkiri

‘चाँदी का वर्क’ इस दौर में कही जाने वाली अनकही बात को सामने लाती है और मानसिक स्वास्थ्य को आगे रखती है। ‘ये दाग़-दाग़ उजाला’ किशोर मन की व्यथा को सामने रखती है, जो बदलते रिश्तों को देख अचंभित और अकेला है। ‘स्कूबा डाइविंग’ एक रोमांचक कहानी है जिसका विषय बिलकुल अलग है और उसका अंत आपको झकझोर देता है। ‘ बंकर’ कहानी आपको विस्मित करती है। युद्ध विभीषिका के बीच मानव संवेदना को लेखिका ने इस तरह प्रस्तुत किया है कि आप ख़ुद सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि क्या आप कभी ऐसा फ़ैसला ले पाएँगे?

 

‘किरकिरी’ की तरह ही उपन्यास का विषय भी था अनोखा

ममता सिंह की कहानियों के विषय हमेशा अचंभित करते हैं। जैसे इस किताब की अलग-अलग कहानियाँ और उनके विषय हैं। कुछ उसी तरह बात उनके उपन्यास ‘अलाव पर कोख’ की करें तो IVF की एक अलग दुनिया की बात करती हैं। ये दुनिया अब भी लोगों के लिये अद्भुत है। उनके उपन्यास के पात्र हमें कई बातें बता जाते हैं।

IVF की तक़रीबन पूरी जानकारी ही सामने आती है, साथ ही एक बच्चे की चाह में जूझती स्त्री का जीवन, उसके रिश्ते सामने आते हैं। चाहे वो सामाजिक ताने हों या पति द्वारा उपेक्षा हर पहलू पर कहानी पाठकों को लेकर जाती है। बनावट से परे वास्तविक जीवन को सामने लाती कहानियाँ अपने आप मन में गहरे धँस जाती हैं और कई सवाल भी छोड़ जाती हैं। आसपास बिखरी पड़ी कहानियों को समेटकर उसे लोगों के सामने लाने में ममता सिंह माहिर हैं। यही बात उनकी लेखनी को ख़ास बनाती है।

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