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ननकू के क़िस्से

ननकू और रसगुल्ला बरामदे में बैठे हुए थे पास ही बैठीं थीं दोनों दादियाँ। ननकू के पास उसकी कॉपी थी जिसमें वो रसगुल्ला को लिखना सीखा रहा था दादियाँ उसे देखकर मुस्कुरा रही थीं। ननकू ने कॉपी में लिखा और बोला-

“देख रसगुल्ला..ऐसे लिखते हैं..देखा?”- ननकू ने दो-तीन बार लिखकर दिखाया रसगुल्ला ऐसे ध्यान से कॉपी की ओर ही देख रहा था मानो सब सीख रहा हो।

दादी ने ननकू से पूछा “क्या सीखा रहा है इसको?”

“दादी..रसगुल्ला को उसका नाम लिखना सीखा रहा हूँ..”- ननकू बोला

“अच्छा..कितना सीख गया रसगुल्ला”- मौसी दादी ने रसगुल्ल आसें पूछा तो रसगुल्ला झट से खड़ा होकर ख़ुश होकर पूँछ हिलाने लगा मानो कह रहा था कि सीख गया है

“कुछ भी नहीं सीखा..नानी ने भी गड़बड़ कर दी”- ननकू मुँह बनाता हुआ बोला

“नानी ने क्या गड़बड़ कर दी भई?”- बाहर आती माँ ने पूछा

“माँ..नानी ने रसगुल्ला का नाम कितना बड़ा रख दिया है..आपने चीकू का नाम कितना छोटा सा रखा न..ची…कू”- ननकू ज़ोर लगाकर ऊँगली में गिनता हुआ बोला। सभी उसे ध्यान से देखकर मुस्कुरा रहे थे। चीकू जो माँ के साथ- साथ चला आया था ननकू को अपना नाम ऐसे लेते देख उसे ध्यान से देख रहा था। दादियों को सब्ज़ी काटने के लिए देने आयी राखी बुआ भी वहाँ खड़ी ननकू की बातों का मज़ा लेने लगीं।

“अरे वाह..दिन भर तो रसगुल्ला..रसगुल्ला बोलते ख़ुश होता रहता है..पसंद नहीं तो क्यों लेता है उसका नाम?” – माँ ने कहा

“मैं तो बोलता हूँ न लेकिन रसगुल्ला कैसे लिख पाएगा अपना नाम..इसको तो र लिखना भी नहीं आ रहा’- ननकू माँ को देखकर बोला

माँ को अब सारी बात समझ आयी..अपनी हँसी किसी तरह रोकते हुए माँ बोलीं “अच्छा..चीकू अपना नाम लिखना सीख गया ?…उसका नाम तो छोटा है न ची…कू”

“हाँ माँ..चीकू को भी अभी तक लिखना नहीं आया..” ननकू को जैसे ये राज़ अभी पता चला था..उसने आँखें बड़ी करके दादी को देखते हुए कहा “दादी,,मैं कितना बड़ा था जब आप मुझे कविता लिखना सीखायीं थीं?”

“छोटा सा था..तब तू सीख गया”- दादी मुस्कुराती हुई बोलीं

“कितना छोटा..? रसगुल्ला से भी छोटा?”- ननकू ने आश्चर्य से पूछा

“रसगुल्ला…ये तो बहुत छोटा है”- दादी ने प्यार से रसगुल्ला का नाम लिया तो चुप खड़ा रसगुल्ला दादी के पास जाकर उनके पैर पर लदकर बैठ गया। उसको देखकर चीकू भी मौसी दादी के पास जा बैठा

“तो..चीकू जितना?”- ननकू जैसे आज जानना ही चाहता था

“इससे भी बड़ा…”- दादी ने कहा तो ननकू सोच में पड़ गया।दादी ने उसके चेहरे की तरफ़ देखा और माँ से इशारे से पूछा..माँ ननकू के पास बरामदे में बैठीं और ननकू को गोद में बिठा लिया उसका सिर सहलाती हुई पूछीं
“क्या हुआ मेरा बच्चा?”

“माँ, अभी मैं चीकू और रसगुल्ला को लिखना नहीं सीखा सकता न.” – ननकू की आवाज़ की मायूसी सुनकर माँ ने उसके गाल को प्यार से चूमा..और पूछा

“अच्छा..ये बता कि इनको लिखना क्यों सिखाना है?”

ननकू पलट के माँ के गले में हाथ डालकर झूलता हुआ बोला- “अगर इन दोनों को लिखना नहीं आएगा तो ये लोग मेरे साथ स्कूल कैसे जाएँगे…पता है जिसको लिखना और पढ़ना नहीं आता न उसको तो मैडम क्लास में आने ही नहीं देगी..फिर तो ये दोनों क्लास में जा ही नहीं पाएँगे”- ननकू ने एक साँस में अपनी बात ख़त्म की और उसकी बात सुनते ही सब हँसने लगे

“इनको न तू घर में पढ़ाना..और कहानियाँ सुनाना समझा?…इनके पास तो स्कूल ड्रेस भी नहीं हैं न”- राखी बुआ हँसते हुए बोलीं

“हाँ..स्कूल तो बस थोड़ी देर के लिए जाता है न..बाद में घर आकर तू इन दोनों को पढ़ा देना” माँ बोलीं

ननकू कुछ देर सोच में बैठ गया और कुछ सोचकर कहा- “दादी..आप भी पढ़ाओगे न चीकू और रसगुल्ला को?”

“इनको क्या..तुझे भी पढ़ाऊँगी मैं तो..” दादी मुस्कुराती हुई बोलीं।

अब तक रसगुल्ला ज़िद करके दादी की गोद में आ चुका था और चीकू माँ के पास बैठा था। ननकू बीच में खड़ा होकर बोला- “चीकू..रसगुल्ला”
दोनों कान खड़े करके ननकू को सुनने लगे..ननकू की आवाज़ पर दोनों गोदी से उतर के उसके पास आ गए। ननकू बोला- “जब तक दादी तुम दोनों को नाम लिखना नहीं सिखातीं तब तक मैं तुम दोनों का नाम लिख के दिखाता हूँ..चलो”

अपनी कॉपी और पेंसिल लेकर ननकू पेट के बल लेटकर कॉपी में लिखने को तैयार था..उसके एक तरफ़ चीकू था और दूसरी तरफ़ रसगुल्ला..ननकू ने पेंसिल से लिखना शुरू किया..”बोलो किसका नाम है ये?”

“रसगुल्ला या चीकू”..दोनों अपना नाम सोचकर उछलने लगे। रसगुल्ला तो कूदने लगा और चीकू उसे भौंककर चुप करवाने लगा ये जताते हुए कि ननकू ने उसका नाम लिखा है। तभी ननकू उठ बैठा और बोला- “ये तो मेरा नाम है..”

सभी हँसने लगे और चीकू और रसगुल्ला ननकू के ऊपर कूदकर उसको गुदगुदी करने लगे। ननकू की हँसी सुनकर सभी हँसने लगे।

(चीकू और रसगुल्ला को तो अब तक अपना नाम लिखना नहीं आता लेकिन ननकू को बस नाम लिखना ही नहीं बल्कि कविताएँ लिखना भी आता है..आप भी तो ढेर सारी कविता और कहानी पढ़ते होंगे न..लेकिन अभी पढ़ने पर आपका ध्यान कहाँ जाएगा अभी तो ननकू की हँसी गूँज रही है घर भर में)

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