“वो देखो डॉली मौसी आ गयी”- ननकू उछलते हुए बोला
माँ और नानी ने देखा डॉली मौसी, विक्की और विन्नी के साथ भागती हुई साई चली आ रही थीं।
“सुमन दीदी, देर हो गयी..ये विक्की न तैयार ही नहीं होता”- डॉली मौसी विक्की को लगभग डाँटी हुई बोलीं
“रहने दे न डॉली..अब निकलते समय मत ग़ुस्सा कर..बच्चा ही तो है”- माँ ने विक्की को अपनी ओर लेते हुए कहा
“दीदी मैं जल्दी से सामान रख लेती हूँ…” कहकर डॉली मौसी अंदर जाने को हुई कि माँ ने उसे डलिया और बैग दिखाते हुए कहा
” बाबा सब तैयारी हो गयी है..माँ और मैंने सब कर लिया था..हाँ और ननकू ने भी मदद की”
“रसगुल्ला भी..” ननकू पास खड़े रसगुल्ला को गोद में उठाता हुआ बोला
“हाँ..हाँ..रसगुल्ला कितना सारा काम करता है..देख ले भई डॉली..रसगुल्ला खाना बनाना सीख जाएगा जल्दी से”- माँ मुस्कुराती हुई बोलीं और सभी हँसने लगे। रसगुल्ला भी ख़ुश होकर ननकू को चाटने लगा।
आज सब ख़ुश थे लेकिन रसगुल्ला और ननकू तो सबसे ज़्यादा ख़ुश थे दोनों आज़ पहली बार नदी के किनारे जा रहे थे पिकनिक के लिए। माँ, नानी, डॉली मौसी, विक्की, विन्नी तो जा ही रहे थे साथ में नैंसी और उसकी मम्मी भी आने वाले थे। ननकू तो बहुत ख़ुश था नैंसी को तो नदी के बारे में बहुत पता है। नैंसी की मम्मी ने गाड़ी भेज दी थी सब घर से निकले और रास्ते में नैंसी और उसकी मम्मी भी गाड़ी में आ गयीं। डॉली मौसी सामने बैठीं। माँ, नानी और नैंसी की मम्मी बीच में और आख़िरी वाली सीट में बैठे थे ननकू, नैंसी, विक्की, विन्नी और रसगुल्ला। रसगुल्ला कभी इसकी गोद में जाता तो कभी उसकी लेकिन हर बार वो ज़िद करके ननकू के पास वापस आ ही जाता। बड़े सब बातों में लगे थे और बच्चे हँसते गाते और खेलने के तरह-तरह के प्लान बनाते जा रहे थे। ऐसे में कब रास्ता पार हुआ पता ही नहीं चला और सब पहुँच गए नदी के किनारे।
“ननकू..तू ध्यान से रहना। दीदी, भैया के साथ में ही रहना”- माँ ननकू को समझाते हुए बोलीं और रसगुल्ला को उन्होंने अपनी गोद में ले लिया “रसगुल्ला तू मेरे साथ रहना”
“माँ रसगुल्ला भी तो हमारे साथ खेलेगा”- ननकू माँ से रसगुल्ला को माँगते हुए बोला
“अभी नाव में बैठना है फिर किनारे पहुँच के ले लेना रसगुल्ला को”- नानी ने समझाया
“नाव में…???”- ननकू ने आँखें बड़ी करके पूछा और नदी की तरफ़ अपनी वाली नाव खोजने लगा
“हाँ ननकू..हम नाव में जाएँगे..पिकनिक तो उस किनारे पर ही होती है”- विन्नी बोली
“वहाँ पर इतनी अच्छी हवा आती है..और ढेर सारी रेत भी है..हम घर बनाएँगे”- विक्की बोला
“रेत का घर…” ननकू ख़ुशी से उछलता हुआ बोला फिर माँ की तरफ़ देखकर बोला- “माँ..रसगुल्ला को भी हमारे साथ खेलने देना”
“हाँ भाई..रसगुल्ला को दे दूँगी..अभी नाव में बैठेंगे तो रसगुल्ला को सम्भालना पड़ेगा..है न?”
ननकू ने सिर हिलाया जैसे सब समझ गया हो। फिर भी उसे रसगुल्ला की याद आ रही थी वो उसकी गोदी में होता तो कितना मज़ा आता। तभी नैंसी ननकू को अपने साथ लेकर बोली
“ननकू तुम नाव में मेरे साथ बैठना”
तभी नाव आ गयी और सब सवार हो गए। नाव किनारे पर खड़ी होकर झूलती जा रही थी सब सहारा लेकर चढ़ गए और नाव में एक चादर बिछी थी उस पर बैठ गए। बच्चे एक घेरा सा बनाकर बैठे और सभी बड़े भी आसपास बैठे। माँ ने बच्चों के बीच ही रसगुल्ला को भी छोड़ दिया। ननकू तो बहुत ख़ुश हुआ, सब रसगुल्ला के साथ खेलने लगे। माँ और नैंसी की मम्मी बातें करने लगे। नानी ज़रा थक गयीं थीं तो उन्होंने नाव में पैर फैला लिया डॉली दीदी साथ ही बैठी थीं। जब नाव चली तो ननकू को ऐसे लग रहा था जैसे वो झूले में झूल रहा है और चारों तरफ़ पानी ही पानी..उसे तो बहुत मज़ा आने लगा ये सब तो किसी कहानी जैसा था। वो नानी को ज़रूर चिट्ठी में लिखेगा।
नाव बीच में पहुँची कि सफ़ेद- सफ़ेद पक्षी आकर साथ में उड़ने लगे नैंसी, विक्की और विन्नी उन्हें खाना देने लगे और पंछी उनके आसपास ही उड़ने लगे। ननकू और रसगुल्ला तो ख़ुशी से कूदने लगे। विक्की और विन्नी ने ननकू को भी बुलाया तो माँ ने रसगुल्ला को संभाल लिया सारे बच्चे चिड़िया को खिलाने लगे और वो चिड़िया झुंड की झुंड उनके साथ ही उड़ने लगे। ननकू माँ के पास आया और पूछा
“माँ..अब ये नाव उड़ जाएगी?”- माँ उसका सवाल सुनकर हँस पड़ी और उन्होंने भी एक सवाल पूछा
“नाव कैसे उड़ेगी?”
ननकू ने आखें बड़ी करके बोला “ये चिड़िया नाव को उड़ा के ले जाएगी न”
सब उसकी इस बात पर मुस्कुरा दिए। नानी ने ननकू को गोद में बिठाया और समझाकर बोली- “ये चिड़िया नाव नहीं उड़ा सकती ये तो बच्चों को देखने के लिए आती है..फिर कोई खाना दे देता है तो खा लेती है..मेरा लड्डू..मेरा ननकू..खाना देगा न उसको?”-नानी ने ननकू के गाल में हाथ फेरते हुए कहा
“हाँ..नानी.. चिड़िया मुझे देखने आयी है मैं उसको खाना देकर आता हूँ”
ये कहकर ननकू दौड़कर गया और सभी बच्चों के साथ चिड़िया के झुंड को खिलाने लगा। नाव चलती-चलती किनारे पर आ गयी। डॉली मौसी उतरी और फिर माँ..दोनों ने नानी को सहारा देकर उतारा और फिर नैंसी की मम्मी बच्चों को सहारा दे- देकर उतारने लगी। सारे बच्चे उतरकर किनारे पर दौड़ लगा दिए। सभी बड़े खाने का सामान उठाकर लाने लगे।
(तो ननकू अपने दोस्तों के साथ पहुँच गया है नदी के उस पार और उसने तो नाव की सवारी भी कर ली। लेकिन असली मज़ा तो अब आने वाला है क्योंकि अब तो शुरू होगी पिकनिक..रेत का घर, पिकनिक में खेल, घर का खाना और ढेर सारी मस्ती..पर होने वाला है और भी बहुत कुछ..भई ननकू पहली बार नदी के किनारे आया है और जब यहाँ तक आया है तो उसे कितनी सारी चीज़ें देखने मिलेंगी। जब ननकू देखेगा तो आपको भी तो ज़रूर दिखाएगा)