Rahat Indori Best Sher ~ राहत इन्दौरी को इस दौर के बड़े शाइरों में शुमार किया जाता है. उनका जन्म 1 जनवरी 1952 को इंदौर में हुआ. राहत साहब ने अपनी शाइरी से हर उम्र के लोगों का दिल जीता. वो मुशाइरों की शान तो थे ही, साथ ही उनकी किताबों को भी ख़ूब पढ़ा जाता था. राहत साहब ने 11 अगस्त, 2020 को इस फ़ानी दुनिया को अलविदा कह दिया. उनके कुछ बेहतरीन शेर हम पेश कर रहे हैं..
दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए
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न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा
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सूरज सितारे चाँद मिरे साथ में रहे
जब तक तुम्हारे हाथ मिरे हाथ में रहे
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जोश मलीहाबादी के बेहतरीन शेर..
शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम
आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे
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रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है
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नए किरदार आते जा रहे हैं
मगर नाटक पुराना चल रहा है
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घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है
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आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो
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बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ
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मैं पर्बतों से लड़ता रहा और चंद लोग
गीली ज़मीन खोद के फ़रहाद हो गए
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मैं आ कर दुश्मनों में बस गया हूँ
यहाँ हमदर्द हैं दो-चार मेरे
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रहमान फ़ारिस के बेहतरीन शेर
घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है
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अंधेरे चारों तरफ़ साएँ साएँ करने लगे
चराग़ हाथ उठा कर दुआएँ करने लगे
~ Rahat Indori Best Sher