तुझसे अब और मुहब्बत नहीं की जा सकती
Noshi Gilani Shayari तुझसे अब और मुहब्बत नहीं की जा सकती, ख़ुद को इतनी भी अज़ीयत नहीं दी जा सकती…
हिन्दी और उर्दू साहित्य का संगम
Noshi Gilani Shayari तुझसे अब और मुहब्बत नहीं की जा सकती, ख़ुद को इतनी भी अज़ीयत नहीं दी जा सकती…