गर बाज़ी इश्क़ की बाज़ी है जो चाहो लगा दो डर कैसा
Gar Baazi Ishq Ki Baazi hai ~ Faiz Ahmed Faiz कब याद में तेरा साथ नहीं कब हात में तेरा हाथ नहीं सद-शुक्र कि अपनी रातों में अब हिज्र की कोई रात नहीं मुश्किल हैं अगर हालात वहाँ दिल बेच आएँ जाँ दे आएँ दिल वालो कूचा-ए-जानाँ में क्या ऐसे भी हालात नहीं जिस धज … Read more