‘ग़म’ शब्द पर ख़ूबसूरत शेर
Gham Shayari हमने तो कोई बात निकाली नहीं ग़म की वो ज़ूद-पशीमान पशीमान सा क्यूँ है शहरयार ___ पत्थर के…
हिन्दी और उर्दू साहित्य का संगम
Gham Shayari हमने तो कोई बात निकाली नहीं ग़म की वो ज़ूद-पशीमान पशीमान सा क्यूँ है शहरयार ___ पत्थर के…
Khushbu Shayari वो तो ख़ुशबू है हवाओं में बिखर जाएगा मसअला फूल का है फूल किधर जाएगा परवीन शाकिर _____…
Gar Baazi Ishq Ki Baazi hai ~ Faiz Ahmed Faiz कब याद में तेरा साथ नहीं कब हात में तेरा…
Ghazal Aur Nazm Mein Farq ग़ज़ल: ग़ज़ल में एक ही ज़मीन होती है और पूरी ग़ज़ल एक बह्र में ही…
Meer Taqi Meer जिन जिन को था ये इश्क़ का आज़ार मर गए अक्सर हमारे साथ के बीमार मर गए…
Mirza Ghalib ke sher कोई उम्मीद बर नहीं आती कोई सूरत नज़र नहीं आती _____ जान दी, दी हुई उसी…
मक़ता: ग़ज़ल का आख़िरी शे’र मक़ता कहलाता है.अक्सर इसमें शा’इर अपने तख़ल्लुस (pen name) का इस्तेमाल करता है. Ghazal Shayari…
मुनीर नियाज़ी की ग़ज़ल: ज़िंदा रहें तो क्या है जो मर जाएँ हम तो क्या (Zinda Rahen To Kya Mar…
Aahat Si Koi Aaye To Lagta Hai Ke Tum Ho जाँ निसार अख़्तर की ग़ज़ल: आहट सी कोई आए तो…
आज से हमने “साहित्य दुनिया” पर एक नयी सीरीज़ शुरू करने की सोची है. हम अब लगातार अपने पाठकों के…