घनी कहानी, छोटी शाखा- जयशंकर प्रसाद की कहानी ‘अघोरी का मोह’ का पहला भाग
अघोरी का मोह (Aghori Ka Moh) (जयशंकर प्रसाद) भाग-1 “आज तो भैया, मूँग की बरफी खाने को जी नहीं चाहता, यह साग तो बड़ा ही चटकीला है। मैं तो….” “नहीं-नहीं जगन्नाथ, उसे दो बरफी तो ज़रूर ही दे दो।” “न-न-न। क्या करते हो, मैं गंगा जी में फेंक दूँगा।” “लो, तब मैं तुम्हीं को उलटे … Read more