फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की शायरी

Faiz Ahmed Faiz Shayari

Faiz Ahmed Faiz Shayari 1. दोनों जहान तेरी मुहब्बत में हार के, वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के 2. इक फ़ुर्सत-ए-गुनाह मिली वो भी चार दिन देखे हैं हमने हौसले पर्वरदिगार के 3. दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया तुझसे भी दिल-फ़रेब हैं ग़म रोज़गार के तहज़ीब हाफ़ी के बेहतरीन शेर … Read more