मिर्ज़ा ग़ालिब के बेहतरीन शेर

Ghalib Best Sher

Ghalib Best Sher 1. फिर उसी बेवफ़ा पे मरते हैं, फिर वही ज़िंदगी हमारी है 2. बे-ख़ुदी बे-सबब नहीं ‘ग़ालिब’ कुछ तो है जिसकी पर्दा-दारी है 3. हम भी दुश्मन तो नहीं हैं अपने, ग़ैर को तुझसे मुहब्बत ही सही 4. हम कोई तर्क-ए-वफ़ा करते हैं, न सही इश्क़ मुसीबत ही सही 5. यार से … Read more