कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता …. निदा फ़ाज़ली

Nida Fazli Ki Shayari waseem barelvi Ada Shayari

Nida Fazli Ki Shayari कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता तमाम शहर में ऐसा नहीं ख़ुलूस न हो जहाँ उमीद हो इसकी वहाँ नहीं मिलता कहाँ चराग़ जलाएँ कहाँ गुलाब रखें छतें तो मिलती हैं लेकिन मकाँ नहीं मिलता Nida Fazli Ki Shayari ये क्या अज़ाब है सब … Read more