मोमिन की ग़ज़ल- “तुम मिरे पास होते हो गोया, जब कोई दूसरा नहीं होता”
Momin ki shayari असर उसको ज़रा नहीं होता रंज राहत-फ़ज़ा नहीं होता बेवफ़ा कहने की शिकायत है तो भी वादा-वफ़ा…
हिन्दी और उर्दू साहित्य का संगम
Momin ki shayari असर उसको ज़रा नहीं होता रंज राहत-फ़ज़ा नहीं होता बेवफ़ा कहने की शिकायत है तो भी वादा-वफ़ा…