इश्क़ में ग़ैरत-ए-जज़्बात ने रोने न दिया.. सुदर्शन फ़ाकिर

Sudarshan Fakir Shayari Urdu Poetry Meter

Sudarshan Fakir Shayari इश्क़ में ग़ैरत-ए-जज़्बात ने रोने न दिया वर्ना क्या बात थी किस बात ने रोने न दिया आप कहते थे कि रोने से न बदलेंगे नसीब उम्र भर आप की इस बात ने रोने न दिया रोने वालों से कहो उनका भी रोना रो लें जिनको मजबूरी-ए-हालात ने रोने न दिया तुझसे … Read more