ननकू, विक्की और विन्नी के साथ कर्नल राठौर के घर गया है, जहाँ उन्हें नैंसी मिलती है। नैंसी का घर ननकू को बहुत पसंद आता है क्योंकि वहाँ बड़े-बड़े और तरह-तरह के पेड़ पौधे हैं। ऐसे में ननकू ट्री हाउस देखकर बहुत ख़ुश होता है और अंदर जाकर वो देखता है कि ट्री हाउस में नैंसी ने अपनी ड्रॉइंग लगा रखी है। ननकू को नैंसी की ड्रॉइंग बहुत अच्छी लगती है इसी बीच नैंसी एक बक्सा ले आती है और सभी आसपास बैठ जाते हैं। नैंसी उस बक्से को खोलती है और सभी की आँखें आश्चर्य से फैल जाती हैं। उस बक्से में ढेर सारे सीप, शंख और अलग-अलग तरह के पत्थर हैं। उसको देखते ही सब ख़ुश हो गए।
“ये कहाँ से मिला?”- ननकू एक शंख को उठाकर देखते हुए बोला
“उस दिन मैं मम्मी के साथ नाव में उस पार गयी थी तो वहाँ नदी के किनारे ये सब मिला”- नैंसी ख़ुश होते हुए बोली। विक्की और विन्नी भी ग़ौर से बक्से के अंदर रखे सीप, शंख और पत्थरों को देख रहे थे।
विक्की ने तभी एक चमकीला पत्थर उठाते हुए पूछा “ये भी वहीं मिला”
सभी उस पत्थर को देखते रह गए..
“हाँ..वहाँ तो इससे भी सुंदर- सुंदर पत्थर हैं। मम्मी को जल्दी थी तो मैं बस इतना ही ला पायी। मैं एक दिन और जाऊँगी..तुम सब भी चलना”- नैंसी बोली
ननकू ने उम्मीद से कहा “मुझे भी ले चलोगे?”
नैंसी ने झट से कहा- “हाँ”
तभी ट्री हाउस में एक घंटी बजी..नैंसी दरवाज़ा खोलकर नीचे देखी तो घर से खाना आ गया था। ननकू भी दरवाज़े के पास जाकर खड़ा था उसे लगा कि अब खाना लेकर वो अंकल ऊपर आ जाएँगे। लेकिन नैंसी ने रस्सी से बंधी एक टोकरी नीचे लटका दी उस पर उन अंकल ने खाने का डिब्बा रख दिया और नैंसी ने उसे ऊपर खींच लिया और पहले की तरह फिर से दरवाज़ा बंद कर लिया। ननकू को ये देखकर बड़ा मज़ा आया। ननकू को कहानियों की जादुई परी की याद आ गयी जैसे उसके पास जादुई छड़ी होती है वैसे ही नैंसी के पास जादुई रस्सी थी और कितना प्यारा ट्री हाउस भी था।
“चलो खेलने से पहले खाना खा लेते हैं..तुम लोग क्या लाए हो?”- नैंसी ने पूछा
“आलू का पराँठा…”- विक्की और विन्नी एक साथ बोले
“मेरे डिब्बे में तो नूडल ही निकलेगा..”- ये कहकर नैंसी ने डिब्बा खोला और नूडल नज़र आया…”तुम क्या लाए हो?” -नैंसी ननकू को देखकर बोली
ननकू को तो पता ही नहीं था कि उसकी टिफ़िन में क्या है उसने कहा- “मुझे नहीं पता”
“कोई बात नहीं तुम तो छोटे हो न..ले आओ हम देखते हैं”- नैंसी बोली
ननकू ने टिफ़िन खोला और उसमें निकला उसका फ़ेवरेट “मिकी माउस सैंड्विच”
माँ सैंड्विच को मिकी माउस के शेप में काट देती थीं और ननकू मज़े से खाता है। जैसे ही बच्चों ने वो सैंड्विच देखा ख़ुश हो गए,
नैंसी बोली- “वाह..ये मेरी ड्रॉइंग वाले मिकी के जैसे दिख रहा है”
ननकू भी ख़ुश हो गया और अपना टिफ़िन उनकी तरफ़ बढ़ा दिया और उसने जब दूसरा टिफ़िन खोला तो उसमें निकली मीठी-मीठी सेंवई। सब मिल बाँटकर नैंसी के घर से आयी प्लेट में खाने लगे। साथ में नैंसी नदी के किनारे के क़िस्से बताती जा रही थी। जब नैंसी चुप हुई तो विन्नी ने रसगुल्ला के बारे में उसे पूरी बात बतायी। नैंसी को विक्की और विन्नी तो अच्छे लगते ही थे अब ननकू भी प्यारा लगा। नैंसी और ननकू की अब दोस्ती हो गयी थी वैसे तो ननकू नैंसी से छोटा था लेकिन नैंसी को वो समझदार लगा। खाना खाकर सभी खेलने के बारे में सोचने लगे।
विक्की ने सुझाव दिया- “हम चार हैं..चलो चोर पुलिस राजा मंत्री खेलते हैं”
“इसको अच्छे से पढ़ना थोड़ी आएगा”- नैंसी ननकू की तरफ़ देखकर बोली।
“इसको तो कविता लिखना भी आता है और ये कितनी सारी स्टोरी बुक्स भी पढ़ता है..ननकू उस दिन हमें कहानी भी सुनाया”- विन्नी ने ननकू का पक्ष लेकर कहा
“सच्ची…?” नैंसी आश्चर्य से बोली..उसे तो विश्वास ही नहीं हुआ कि इतना छोटा सा ननकू कविता भी लिख सकता है। ननकू को विन्नी बहुत अच्छी लगी अगर वो नहीं बताती तो नैंसी को कैसे पता चलता कि ननकू को पढ़ना-लिखना आता है..उसे तो पता ही नहीं कि कैसे बताते हैं। अब चारों मिलकर चोर पुलिस राजा मंत्री खेलने लगे।
नैंसी को ननकू बहुत प्यारा लगा जब जाने का समय हो गया तो नैंसी ने ननकू से वादा लिया कि वो उसे अपनी कविता ज़रूर सुनाएगा। ननकू ने कहा कि वो नैंसी के ट्री हाउस पर भी एक कविता लिखेगा। नैंसी बहुत ख़ुश हुई। नैंसी विक्की, विन्नी और ननकू को छोड़ने दरवाज़े तक आयी। तीनों बच्चे घर की ओर चले, ननकू को तो अब माँ याद आने लगी थी और रसगुल्ला, वो जाने दिन भर कैसे रहा होगा?
(ननकू, विक्की और विन्नी के साथ घर पहुँचकर ढेर सारी बातें माँ को बताएगा जैसे आप बताते हैं न बिलकुल वैसे ही। रसगुल्ला तो दिन भर माँ के साथ खेला और उसने ख़ूब सारा खाना भी खाया..पर वो ननकू को थोड़ा-थोड़ा मिस भी कर रहा था। जैसे ही ननकू घर पहुँचा रसगुल्ला दौड़-दौड़ के उसकी गोद में चढ़ गया। ननकू को माँ ने ढेर सारा प्यार किया। विक्की और विन्नी डॉली मौसी के साथ अपने घर चले गए..अब ननकू सारी बातें माँ को बताएगा..तो हम ननकू को माँ के पास छोड़कर अपनी मम्मा के पास चलते हैं..हमें भी तो उन्हें ढेर सारी बातें बताना है)