(हिन्दी व्याकरण औ और ऑ) जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हिंदी में अन्य कई भाषाओं के शब्द शामिल हैं और उनका प्रयोग भी मान्य है, ऐसी ही एक भाषा है अंग्रेज़ी। अंग्रेज़ी के शब्दों की ओर अगर हम ध्यान दें तो कई ऐसे शब्द हैं जो आम बोलचाल में बहुत ज़्यादा इस्तेमाल में आने लगे हैं और अब हिंदी में भी उन्हें मान्यता मिल-सी गयी है। फिर भी इन शब्दों के उच्चारण में कुछ बातों का ध्यान रखना सही होता है वरना अर्थ का अनर्थ होते देर नहीं लगती।
अंग्रेज़ी में अगर ध्यान दें तो ज़्यादातर शब्दों में “फ” नहीं बल्कि “फ़” का ही इस्तेमाल होता है, जैसे फ़िल्म, फ़िल्टर, फ़ीचर आदि। यहाँ अगर “फ़” को “फ” कहा जाए तो बात बिलकुल अलग भी हो सकती है।
जैसे- अगर “फ़ूल” को हमने “फूल” कहा या इसके विपरीत ही कहा तो भी।
फ़ूल – मूर्ख
फूल- पुष्प
इसी तरह अगर देखें तो अंग्रेज़ी में “र” से ख़त्म होने वाले शब्दों को कहने का अलग अन्दाज़ होता है जहाँ “र” पूरी तरह उच्चारित न होकर तालू में ही घूम जाता है। लेकिन अगर हिंदी में भी इसी तरह “र” का उच्चारण किया जाए तो वह सही नहीं लगता। वैसे आजकल ये बहुत चलन में है, कई फ़िल्मी गानों में और युवाओं को इस तरह “र” बोलते सुना जा सकता है।
ये बातें तो उच्चारण से सम्बंधित हुई। लेकिन एक ग़लती जो लेखन के समय होती है वो ज़रा अलग ही स्थिति पैदा कर रही है। अंग्रेज़ी शब्दों में अक्सर “औ” की मात्रा वाले कुछ शब्द ऐसे होते हैं जहाँ एक खड़ी रेखा के साथ ऊपर चंद्राकार आकृति बनायी जाती है, (ॉ ) जब शब्द “ऑ” से ही शुरू हो तो सीधे वही लगाया जाता है और अगर किसी और अक्षर से हो तो मात्रा लगायी जाती है, इससे बने कुछ शब्द हैं: ऑफ़िस, ऑफ़, डॉक्टर, मॉडर्न, फ़्रॉक आदि।
अब अगर यहाँ “औ” की मात्रा लगा दी जाए तो ये ग़लत होंगे जैसे अगर औफ़िस, औफ़, डौक्टर आदि लिखा जाए तो ये ग़लत होगा। कुछ प्रदेशों में जैसे कि महाराष्ट्र में हिंदी शब्दों के साथ भी “औ” की जगह “ऑ” या “ॉ” का इस्तेमाल किया जाता है और “ओ” की जगह अक्षर के ऊपर सिर्फ़ एक आधा चंद्र आकार बना दिया जाता है,(उदाहरण के लिए भी ये लिख पाना सम्भव नहीं है क्योंकि टाइप के लिए ऐसा कोई विकल्प है ही नहीं) जो कि ग़लत है। पर अक्सर इस बात पर बहस का मुद्दा खड़ा हो जाता है कि “औ” सही है या “ऑ” और इसकी मात्राएँ कौन-सी सही हैं।
ध्यान रखने योग्य बातें
1. ज़्यादातर अंग्रेज़ी शब्दों में “फ़” (नुक़्ते वाला) का प्रयोग होता है “फ” का नहीं
2. “र” बोलने का तरीक़ा हिंदी और अंग्रेज़ी में अलग है।
3. अंग्रेज़ी शब्दों में ही “ऑ” और “ॉ” का प्रयोग होता है। हिंदी में “औ” और उसकी मात्रा जो शिरोरेखा के ऊपर दो मात्राओं के रूप में लगती है उसका ही प्रयोग होता है।
हिंदी भाषा एक ऐसी “फुलवारी” है जहाँ कई अलग-अलग भाषाओं के “कलरफ़ुल फ़्लावर” खिलते हैं..“ऑक्टोबर” हो या “फ़रवरी”ये फुलवारी सदा महकती रहे “और” आप जैसे क़द्रदान इसकी शोभा बढ़ाते रहें।
(हिन्दी व्याकरण औ और ऑ)