सुबह अच्छे से हो चुकी है और ननकू छुट्टियों के बाद पहली बार स्कूल जा रहा है। ननकू के लिए माँ नाश्ते बना रही हैं तो चीकू भी बार-बार माँ से अपने लिए नाश्ता माँग रहा है। ननकू नहा कर रेडी हो रहा है, उसकी मदद पापा कर रहे हैं, रसगुल्ला ननकू के आस-पास घूम रहा है। दादी खाने की मेज़ पर बैठी चाय पी रही हैं और साथ ही अख़बार भी पढ़ रही हैं।
चीकू के बार-बार कहने पर माँ ने उसे उसका खाना दिया, “बेटा, साइड में बैठ जा रास्ते से ज़रा सा हट कर”
माँ की बात मानते हुए चीकू साइड में हो गया..
“ननकू, बेटा नाश्ता करो जल्दी से…तुम भी आओ रसगुल्ला”
ननकू और रसगुल्ला दोनों साथ ही बाहर के कमरे में आए और दादी के पास आकर बैठ गए…रसगुल्ला के मन में अलग सा एहसास था…रसगुल्ला को छेड़ते हुए ननकू ने कहा,
“तू जाकर सो जा, तुझे थोड़े स्कूल जाना है”
रसगुल्ला ने भौंक कर अपनी नाराज़गी दिखाई…
“क्यों नहीं जाएगा, जाएगा रसगुल्ला भी स्कूल” दादी की बात सुनकर तो रसगुल्ला मस्त ख़ुश हो गया…
“हाँ, ननकू को छोड़ने तो जाएगा न”, माँ ने भी सहमति जताई
ननकू ख़ुश हो गया…
“एक उसे देखो, दूर बैठा खाने में जुटा है”, माँ ने चीकू की ओर इशारा किया तो दादी ने तुरंत चीकू का पक्ष ले लिया
“अरे बच्चा है वो भी, भूक लग जाती है न उसे भी”, दादी की बात सुनकर वो प्यार में भौंका और खाना छोड़ दादी के पास आ गया।
ननकू ने नाश्ता कर लिया, पापा ने भी चाय पी ली और अब स्कूल जाने के लिए ननकू तैयार..ननकू, पापा और रसगुल्ला गाड़ी में बैठ चुके हैं लेकिन चीकू दादी के पास ही है..पापा ने गाड़ी स्टार्ट की और हॉर्न दिया…
“जा, पापा बुला रहे हैं”, दादी ने चीकू को कहा तो चीकू धीरे से दरवाज़े के पास गया और खड़ा हो गया…
“अब देखो इन महाशय के नख़रे”, माँ ने दादी से कहा…
पापा ने एक और हॉर्न दिया और गाड़ी चलानी शुरू ही की कि चीकू ज़ोर से भौंकता हुआ कार की ओर भागा, पापा ने गाड़ी रोक दी और पीछे का दरवाज़ा खोला और वो जल्दी से बैठ गया और भौंकने लगा….
“पागल तुझे छोड़ कर थोड़े जाएँगे”
और सब ख़ुशी-ख़ुशी स्कूल गए, माँ भी चीकू की दौड़ देखकर मुस्कुराने लगीं, दादी को भी प्यार आया।