Jaun Eliya Ka Jin दिल्ली एक ऐसा शहर है जिसके बारे में कहा जा सकता है कि यहाँ वो सब कुछ है जो ज़हनी सुकून के लिए चाहिए. अच्छे तालीमी इदारे, शानदार इमारतें, अस्पताल, थोड़ी बहुत हरियाली, वग़ैरा लेकिन सबसे कमाल की चीज़ जो दिल्ली में है वो है कि यहाँ साहित्य और कला का भी ख़ूब काम होता है. भले मुम्बई की फ़िल्म इंडस्ट्री पूरी दुनिया में मशहूर है लेकिन दिल्ली में जो कला का काम होता है वो अलग ही तरह का होता है. इन दिनों भी दिल्ली में एक प्ले की चर्चा है.
‘हर्फ़कार’ की पेशकश इस प्ले का टाइटल है “जॉन एलिया का जिन्न”. हम सभी जानते हैं कि जॉन एलिया आधुनिक उर्दू शाइरी के सबसे मशहूर शाइरों में से एक हैं. जॉन एक ऐसे शाइर रहे जो मक़बूल भी ख़ूब रहे और हक़ जमाने की अपनी आदत की वजह से अलग तरह की बहस में भी रहे. इस प्ले के टाइटल और इसके प्रमोशनल फ़ोटो ने एक दिलचस्पी सी पैदा कर दी है. ये दिलचस्पी इस वजह से ज़्यादा बढ़ गई है क्यूँकि जॉन का करैक्टर अपने आप में कई रँगों से बना जिन्न है.
इस प्ले के लेखक इरशाद ख़ान ‘सिकंदर’ से ‘साहित्य दुनिया’ ने बातचीत की. शाइरी और लेखन में अपना नाम कमा चुके सिकंदर कहते हैं कि ये उनके दिल के बेहद अज़ीज़ है. उन्होंने कहा कि ये जितना दिलचस्प है उतना ही मुश्किल भी है.. इसके लिए निर्देशक रणजीत कपूर ने जो मेहनत की है वो क़ाबिल ए तारीफ़ है. इस प्ले के ज़रिए लेखक की कोशिश है कि जॉन की ज़िन्दगी के कई और पहलू भी दुनिया के सामने आयें. आपको बता दें कि सैयद सिब्ते असग़र नक़वी जिनको लोग जॉन एलिया के नाम से जानते हैं, उर्दू शाइरी के सबसे मक़बूल नामों में से एक हैं. उन्हें 6 भाषाओं का ज्ञान था. Jaun Eliya Ka Jin