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आज हम जिस महिला की बात करने वाले हैं वो हैं ओशियनो-ग्राफ़र यानी कि समुद्र विज्ञानी डॉक्टर अदिति पंत। अदिति पंत ने एक इतिहास अपने नाम किया है, वो हैं दुनिया के एक अलग ही छोर को छूने वाली यानी कि अंटार्कटिक की यात्रा करने वाली पहली भारतीय महिला। यहाँ पहुँचने का सफ़र और ये करियर चुनने की यात्रा भी दिलचस्प है। यूँ तो इस तरह की उपलब्धि के लिए कई तरह की पढ़ाई करनी होती है और बहुत ध्यान से इसे पूरा करना होता है लेकिन अदिति को इस पढ़ाई की प्रेरणा मिली एक पुस्तक से ही।

नागपुर में जन्मी अदिति ने अपनी पढ़ाई की शुरुआत भी पुणे से ही की और हमेशा अच्छे नम्बर लाकर पास भी होती रहीं। एक रोज़ उनके हाथ में एलिस्टर हार्डी की किताब “द ओपन सी” लगी। इस किताब को पढ़ते हुए अदिति पंत को सागर की एक अलग ही दुनिया नज़र आयी और उन्हें ये भी पता चला कि समुद्री विज्ञान ही उनका विषय है और वो इसी क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहती हैं।

एक बार जब अदिति ने समुद्री विज्ञानी बनने का निश्चय कर लिया उनके इस निश्चय को हौसला मिला जब हवाई विश्वविद्यालय में उन्हें मरीन साइयन्स यानी समुद्री विज्ञान विषय में मास्टर डिग्री हासिल करने के लिए स्कालर्शिप मिली। आगे अदिति पंत ने लंदन के विश्वविद्यालय से PhD की विषय था “समुद्री शैवालों के शारीरिक क्रिया विज्ञान”

जिस समय अदिति पंत ये काम कर रही थीं वो एक ऐसा दौर था जब महिलाओं की शिक्षा का स्तर इस हद तक भी नहीं सुधरा था। ऐसे समय में डॉक्टर अदिति पंत ने ये साबित किया कि अगर महिलाएँ अंतरिक्ष में अपने क़दम रख सकती हैं तो समुद्र की गहराइयों में भी अपना परचम लहरा सकती हैं। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद डॉक्टर अदिति गोवा में ‘राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान’ में शामिल होने के लिए भारत लौट आयीं यहाँ उन्होंने तटों का निरीक्षण किया। डॉक्टर अदिति ने पूरे भारतीय पश्चिमी तटों की यात्रा की है। राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला और महाराष्ट्र विज्ञान अकादमी जैसे संस्थानों से भी जुड़ चुकी हैं।

डॉक्टर अदिति पंत पहली भारतीय महिला हैं जो 1983 में ऐंटार्क्टिक क्षेत्र के तीसरे खोजी अभियान का हिस्सा बनीं। उन्होंने भारतीय एंटार्कटिक योजना का हिस्सा बनकर काम किया। कई दुर्गम और विपरीत जलवायु परिस्थितियों का सामना करते हुए डॉक्टर अदिति ने उस महाद्वीप का चार महीने तक विश्लेषण किया और कई अद्भुत खोजों को बाहर लाने में सक्षम रहीं।

इस खोज का हिस्सा बनने के लिए डॉक्टर अदिति पंत को एंटार्कटिक पुरस्कार से नवाज़ा गया। इस पुरस्कार में उनकी सहायक महिलाएँ भी भागीदार बनीं उन्हें भी इस पुरस्कार का हिस्सा बनाया गया। उन महिलाओं के नाम भी हम यहाँ बता देते हैं उनके नाम हैं सुदीप्ता सेन गुप्ता, जया नैथानी और कँवल विल्कू। डॉक्टर अदिति पंत ने ये साबित कर दिया कि एक महिला चाहे तो आसमान की ऊँचाइयों को छू सकती है और चाहे तो किसी सागर की धीरता को धरकर उसके अंदर से ख़ज़ाने तलाश सकती है।

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