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Behzad Lucknowi Best Sher

Behzad Lucknowi Best Sher

ऐ जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूँ हर चीज़ मुक़ाबिल आ जाए
मंज़िल के लिए दो गाम चलूँ और सामने मंज़िल आ जाए

बहज़ाद लखनवी

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ऐ दिल की ख़लिश चल यूँही सही चलता तो हूँ उनकी महफ़िल में
उस वक़्त मुझे चौंका देना जब रंग पे महफ़िल आ जाए

बहज़ाद लखनवी

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कौन एहसान-ए-ना-ख़ुदाई ले
इस से बेहतर तो डूब जाना है

शहाब लखनवी

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हम भी ख़ुद को तबाह कर लेते
तुम इधर भी निगाह कर लेते

बहज़ाद लखनवी

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वफ़ाओं के बदले जफ़ा कर रहे हैं
मैं क्या कर रहा हूँ वो क्या कर रहे हैं

बहज़ाद लखनवी

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गाली के सिवा हाथ भी चलता है अब उनका
हर रोज़ नई होती है बेदाद की सूरत

अमानत लखनवी

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ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए-ज़िंदगी नहीं
जलता हुआ दिया हूँ मगर रौशनी नहीं

बहज़ाद लखनवी

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मुझे तो होश न था उनकी बज़्म में लेकिन
ख़मोशियों ने मेरी उनसे कुछ कलाम किया

बहज़ाद लखनवी

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गो मुद्दतें हुई हैं किसी से जुदा हुए
लेकिन ये दिल की आग अभी तक बुझी नहीं

बहज़ाद लखनवी

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दीवाना बनाना है तो दीवाना बना दे
वर्ना कहीं तक़दीर तमाशा न बना दे

बहज़ाद लखनवी

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ऐ देखने वालो मुझे हँस हँस के न देखो
तुमको भी मोहब्बत कहीं मुझ सा न बना दे

बहज़ाद लखनवी

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तिरे इश्क़ में ज़िंदगानी लुटा दी
अजब खेल खेला जवानी लुटा दी

बहज़ाद लखनवी
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नहीं दिल में दाग़-ए-तमन्ना भी बाक़ी
उन्हीं पर से उनकी निशानी लुटा दी

बहज़ाद लखनवी
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कुछ इस तरह ज़ालिम ने देखा कि हम ने
न सोचा न समझा जवानी लुटा दी

बहज़ाद लखनवी

Behzad Lucknowi Best Sher

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