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Dard Bhari Shayari Best Urdu Ghazals Bewafai ShayariDard Bhari Shayari

Bewafai Shayari

काम आ सकीं न अपनी वफ़ाएँ तो क्या करें
उस बेवफ़ा को भूल न जाएँ तो क्या करें

अख़्तर शीरानी

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जो मिला उसने बेवफ़ाई की
कुछ अजब रंग है ज़माने का

मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

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इक अजब हाल है कि अब उसको
याद करना भी बेवफ़ाई है

जौन एलिया

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हमने तो ख़ुद को भी मिटा डाला
तुमने तो सिर्फ़ बेवफ़ाई की

ख़लील-उर-रहमान आज़मी
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हमसे क्या हो सका मुहब्बत में
ख़ैर तुमने तो बेवफ़ाई की

फ़िराक़ गोरखपुरी

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मेरे ब’अद वफ़ा का धोका और किसी से मत करना
गाली देगी दुनिया तुझ को सर मेरा झुक जाएगा

क़तील शिफ़ाई

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कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता

बशीर बद्र

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ये क्या कि तुमने जफ़ा से भी हाथ खींच लिया
मिरी वफ़ाओं का कुछ तो सिला दिया होता

अब्दुल हमीद अदम

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हम से कोई तअल्लुक़-ए-ख़ातिर तो है उसे
वो यार बा-वफ़ा न सही बेवफ़ा तो है

जमील मलिक

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इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई की
आज पहली बार उस से मैंने बेवफ़ाई की

अहमद फ़राज़

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नहीं शिकवा मुझे कुछ बेवफ़ाई का तिरी हरगिज़
गिला तब हो अगर तूने किसी से भी निभाई हो

ख़्वाजा मीर दर्द

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गिला लिखूँ मैं अगर तेरी बेवफ़ाई का
लहू में ग़र्क़ सफ़ीना हो आश्नाई का

मुहम्मद रफ़ी सौदा

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बेवफ़ाई पे तेरी जी है फ़िदा
क़हर होता जो बा-वफ़ा होता

मीर तक़ी मीर

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दिल भी तोड़ा तो सलीक़े से न तोड़ा तुमने
बेवफ़ाई के भी आदाब हुआ करते हैं

महताब आलम

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तुमने किया न याद कभी भूल कर हमें
हमने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया

बहादुर शाह ज़फ़र

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उड़ गई यूँ वफ़ा ज़माने से
कभी गोया किसी में थी ही नहीं

दाग़ देहलवी

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चला था ज़िक्र ज़माने की बेवफ़ाई का
सो आ गया है तुम्हारा ख़याल वैसे ही

अहमद फ़राज़

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वही तो मरकज़ी किरदार है कहानी का
उसी पे ख़त्म है तासीर बेवफ़ाई की

इक़बाल अशहर

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मैं उसके सामने तन्हा खड़ा हुआ हूँ मगर,
वो मेरे सामने यूँ है कि ढूँढता है मुझे

अरग़वान रब्बही

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हम उसे याद बहुत आएँगे
जब उसे भी कोई ठुकराएगा

क़तील शिफ़ाई

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वफ़ा की ख़ैर मनाता हूँ बेवफ़ाई में भी
मैं उसकी क़ैद में हूँ क़ैद से रिहाई में भी

इफ़्तिख़ार आरिफ़

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तुम किसी के भी हो नहीं सकते
तुमको अपना बना के देख लिया

अमीर रज़ा मज़हरी

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जाओ भी क्या करोगे मेहर-ओ-वफ़ा
बार-हा आज़मा के देख लिया

दाग़ देहलवी

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उमीद उनसे वफ़ा की तो ख़ैर क्या कीजे
जफ़ा भी करते नहीं वो कभी जफ़ा की तरह

आतिश बहावलपुरी

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अब ज़माना है बेवफ़ाई का
सीख लें हम भी ये हुनर शायद

अमीता परसुराम मीता

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थी बहुत तेज़ जो सर्दी की हवा,
ये भी मुश्किल है कि ठहरा होगा

अरग़वान रब्बही

Bewafai Shayari

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