उर्दू शाइरी और शायद दुनिया की हर तरह की शाइरी में दिल या दिल के अर्थ (Dil Shayari) वाले दूसरे अल्फ़ाज़ पर ढेरों शाइरी कही गयी है। इंसानी जिस्म में दिल को उसके मुहब्बत के एहसासात से जोड़ा गया है, यही वजह है कि अक्सर लोग अपने एहसासात का बयान करने के लिए ‘दिल’ शब्द का ज़िक्र करते हैं। हम यहाँ कुछ ऐसे शेर पेश कर रहे हैं जिनमें “दिल” शब्द का इस्तेमाल किया गया है।
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आप पहलू में जो बैठें तो सँभल कर बैठें
दिल-ए-बेताब को आदत है मचल जाने की
जलील मानिकपूरी
तुम ज़माने की राह से आए
वर्ना सीधा था रास्ता दिल का
बाक़ी सिद्दीक़ी
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आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा
अहमद फ़राज़
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दिल दे तो इस मिज़ाज का परवरदिगार दे
जो रंज की घड़ी भी ख़ुशी से गुज़ार दे
दाग़ देहलवी
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इक लफ़्ज़-ए-मुहब्बत का अदना ये फ़साना है
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है
जिगर मुरादाबादी
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उससे कहियो कि दिल की गलियों में
रात दिन तेरी इंतिज़ारी है
जौन एलिया
~~जुदाई पर शेर
तुम्हारा दिल मिरे दिल के बराबर हो नहीं सकता
वो शीशा हो नहीं सकता ये पत्थर हो नहीं सकता
दाग़ देहलवी
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कहा मैंने बात वो कोठे की मिरे दिल से साफ़ उतर गई
तो कहा कि जाने मिरी बला तुम्हें याद हो कि न याद हो
मोमिन ख़ाँ मोमिन
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हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में
बशीर बद्र
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मिलाते हो उसी को ख़ाक में जो दिल से मिलता है
मिरी जाँ चाहने वाला बड़ी मुश्किल से मिलता है
दाग़ देहलवी
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हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है
मिर्ज़ा ग़ालिब
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बड़ा है दर्द का रिश्ता ये दिल ग़रीब सही
तुम्हारे नाम पे आएँगे ग़म-गुसार चले
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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दिल आबाद कहाँ रह पाए उसकी याद भुला देने से
कमरा वीराँ हो जाता है इक तस्वीर हटा देने से
जलील ’आली’
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हम ने सीने से लगाया दिल न अपना बन सका
मुस्कुरा कर तुम ने देखा दिल तुम्हारा हो गया
जिगर मुरादाबादी
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और क्या देखने को बाक़ी है
आप से दिल लगा के देख लिया
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं
कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं
जिगर मुरादाबादी
अदा शायरी
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रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
अहमद फ़राज़
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ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम
मुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं
इमाम बख़्श नासिख़
~ Dil Shayari
दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तिरी याद थी अब याद आया
नासिर काज़मी
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दिल को तिरी चाहत पे भरोसा भी बहुत है
और तुझसे बिछड़ जाने का डर भी नहीं जाता
अहमद फ़राज़
~
उम्र के हर वरक़ पे दिल की नज़र
तेरी मेहर-ओ-वफ़ा के बाब आए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीर-ए-नीम-कश को
ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता
मिर्ज़ा ग़ालिब
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दुनिया की निगाहों में भला क्या है बुरा क्या
ये बोझ अगर दिल से उतर जाए तो अच्छा
साहिर लुधियानवी
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कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भी
दिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी
परवीन शाकिर
Train Shayari ~ रेलगाड़ी पर बेहतरीन शेर
तहज़ीब हाफ़ी के बेहतरीन शेर
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की शायरी
Dil Shayari