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Independence Day Poetry Jashn e Azadi

Independence Day Poetry Jashn e Azadi

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी ये गुलसिताँ हमारा

अल्लामा इक़बाल (Allama Iqbal)

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सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है

बिस्मिल अज़ीमाबादी (Bismil Azeemabadi)

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दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त
मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी

लाल चन्द फ़लक (Lal Chand Falak)

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हम ख़ून की क़िस्तें तो कई दे चुके लेकिन
ऐ ख़ाक-ए-वतन क़र्ज़ अदा क्यूँ नहीं होता

वाली आसी (Wali Aasi)

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ग़ाज़ियों में बू रहेगी जब तलक ईमान की,
तख़्त ए लंदन तक चलेगी तेग हिंदुस्तान की.”

बहादुर शाह ज़फ़र (Bahadur Shah Zafar)
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हम अहल-ए-क़फ़स तन्हा भी नहीं हर रोज़ नसीम-ए-सुब्ह-ए-वतन
यादों से मोअत्तर आती है अश्कों से मुनव्वर जाती है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ (Faiz Ahmed Faiz)

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दुख में सुख में हर हालत में भारत दिल का सहारा है
भारत प्यारा देश हमारा सब देशों से प्यारा है

अफ़सर मेरठी (Afsar Meruthi)

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सभी का ख़ून है शामिल यहाँ की मिट्ठी में,
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़े है

राहत इंदौरी (Rahat Indori)

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वतन की ख़ाक से मर कर भी हम को उन्स बाक़ी है
मज़ा दामान-ए-मादर का है इस मिट्टी के दामन में

चकबस्त ब्रिज नारायण (Brij Narayan Chakbast)

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वतन की ख़ाक ज़रा एड़ियाँ रगड़ने दे
मुझे यक़ीन है पानी यहीं से निकलेगा

अज्ञात (Unknown)

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दिलों में हुब्ब-ए-वतन है अगर तो एक रहो
निखारना ये चमन है अगर तो एक रहो

जाफ़र मलीहाबादी (Jafar Malihabadi)

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भारत के ऐ सपूतो हिम्मत दिखाए जाओ
दुनिया के दिल पे अपना सिक्का बिठाए जाओ

लाल चन्द फ़लक (Lal Chand Falak)

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लहू वतन के शहीदों का रंग लाया है
उछल रहा है ज़माने में नाम-ए-आज़ादी

फ़िराक़ गोरखपुरी (Firaq Gorakhpuri)

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वतन के जाँ-निसार हैं वतन के काम आएँगे
हम इस ज़मीं को एक रोज़ आसमाँ बनाएँगे

जाफ़र मलीहाबादी (Jafar Malihabadi)

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इसी जगह इसी दिन तो हुआ था ये एलान
अँधेरे हार गए ज़िंदाबाद हिन्दोस्तान

जावेद अख़्तर (Javed Akhtar)

Independence Day Poetry Jashn e Azadi

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