Jalil Manikpuri Parveen Shakir ~ उर्दू शा’इरी के जिन दो शा’इरों की ग़ज़लें हम आज पेश कर रहे हैं, वो हैं परवीन शाकिर और जलील मानिकपुरी.
परवीन शाकिर की ग़ज़ल..
Jalil Manikpuri Parveen Shakir
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बहुत रोया वो हमको याद कर के,
हमारी ज़िंदगी बरबाद कर के
पलट कर फिर यहीं आ जाएँगे हम,
वो देखे तो हमें आज़ाद कर के
रिहाई की कोई सूरत नहीं है,
मगर हाँ मिन्नत-ए-सय्याद कर के
बदन मेरा छुआ था उसने लेकिन
गया है रूह को आबाद कर के
हर आमिर तूल देना चाहता है,
मुक़र्रर ज़ुल्म की मीआ’द कर के
[रदीफ़- कर के]
[क़ाफ़िये- याद, बरबाद, आज़ाद, मिन्नत ए सय्याद, आबाद, मीआ’द]
जलील मानिकपुरी की ग़ज़ल
बात साक़ी की न टाली जाएगी,
कर के तौबा तोड़ डाली जाएगी
दिल लिया पहली नज़र में आप ने,
अब अदा कोई न ख़ाली जाएगी
आते आते आएगा उन को ख़याल,
जाते जाते बे-ख़याली जाएगी
क्या कहूँ दिल तोड़ते हैं किस लिए,
आरज़ू शायद निकाली जाएगी
देखते हैं ग़ौर से मेरी शबीह,
शायद उस में जान डाली जाएगी
ऐ तमन्ना तुझ को रो लूँ शाम-ए-वस्ल,
आज तू दिल से निकाली जाएगी
फ़स्ल-ए-गुल आई जुनूँ उछला ‘जलील‘
अब तबीअ’त कुछ सँभाली जाएगी
[रदीफ़ – जायेगी]
[क़ाफ़िये- टाली, डाली, ख़ाली, बे-ख़याली, निकाली, डाली, निकाली, सँभाली] साहिर लुधियानवी के बेहतरीन शेर
उर्दू की बेहतरीन ग़ज़लें (रदीफ़ और क़ाफ़िए की जानकारी के साथ)