Josh Malihabadi Shayari ~ जोश मलीहाबादी के बेहतरीन शेर
सिर्फ़ इतने के लिए आँखें हमें बख़्शी गईं
देखिए दुनिया के मंज़र और ब-इबरत देखिए
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मेरे रोने का जिसमें क़िस्सा है
उम्र का बेहतरीन हिस्सा है
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उस ने वा’दा किया है आने का
रंग देखो ग़रीब ख़ाने का
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अख़्तर शीरानी की नज़्म ‘ऐ इश्क़ हमें बर्बाद न कर’
दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया
जब चली सर्द हवा मैंने तुझे याद किया
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किसी का अहद-ए-जवानी में पारसा होना
क़सम ख़ुदा की ये तौहीन है जवानी की
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मुझको तो होश नहीं तुमको ख़बर हो शायद
लोग कहते हैं कि तुमने मुझे बर्बाद किया
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वहाँ से है मिरी हिम्मत की इब्तिदा वल्लाह
जो इंतिहा है तिरे सब्र आज़माने की
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मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद के बेहतरीन शेर
हद है अपनी तरफ़ नहीं मैं भी
और उनकी तरफ़ ख़ुदाई है
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तबस्सुम की सज़ा कितनी कड़ी है
गुलों को खिल के मुरझाना पड़ा है
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काम है मेरा तग़य्युर नाम है मेरा शबाब
मेरा ना’रा इंक़िलाब ओ इंक़िलाब ओ इंक़िलाब
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आपसे हमको रंज ही कैसा
मुस्कुरा दीजिए सफ़ाई से
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आड़े आया न कोई मुश्किल में
मशवरे दे के हट गए अहबाब
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इस का रोना नहीं क्यूँ तुमने किया दिल बर्बाद
इस का ग़म है कि बहुत देर में बर्बाद किया
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लखनवी शायरी ~ सैयद इंशा अल्लाह ख़ाँ ‘इंशा’
अब तक न ख़बर थी मुझे उजड़े हुए घर की
वो आए तो घर बे-सर-ओ-सामाँ नज़र आया
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हाँ आसमान अपनी बुलंदी से होशियार
अब सर उठा रहे हैं किसी आस्ताँ से हम
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हर एक काँटे पे सुर्ख़ किरनें हर इक कली में चराग़ रौशन
ख़याल में मुस्कुराने वाले तिरा तबस्सुम कहाँ नहीं है
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जितने गदा-नवाज़ थे कब के गुज़र चुके
अब क्यूँ बिछाए बैठे हैं हम बोरिया न पूछ
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पहचान गया सैलाब है उसके सीने में अरमानों का
देखा जो सफ़ीने को मेरे जी छूट गया तूफ़ानों का
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अब दिल का सफ़ीना क्या उभरे तूफ़ाँ की हवाएँ साकिन हैं
अब बहर से कश्ती क्या खेले मौजों में कोई गिर्दाब नहीं
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दुनिया ने फ़सानों को बख़्शी अफ़्सुर्दा हक़ाएक़ की तल्ख़ी
और हम ने हक़ाएक़ के नक़्शे में रंग भरा अफ़्सानों का
Josh Malihabadi Shayari